चेन्नई : सरकार व NDMA प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए लगातार नई टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रही है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण- NDMA अपने कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल सिस्टम- CAPS के दूसरे चरण के रूप में इस साल के अंत तक सेल ब्रॉडकास्ट लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. वरिष्ठ अधिकारियों ने यहां रविवार को यह जानकारी दी. सीधे शब्दों में कहें तो सेल ब्रॉडकास्ट एक परिभाषित इलाके में लोगों के मोबाइल फोन पर संदेश या अलर्ट पहुंचाने की एक प्रणाली है - भू-लक्षित और भू-बाध्य. लक्षित क्षेत्र में मोबाइल फोन साइलेंट मोड पर होने पर भी स्वचालित रूप से अलर्ट बजा देंगे. सेल प्रसारण भी दूरसंचार यातायात भार से प्रभावित नहीं होता. एनडीएमए सभी 'रेड अलर्ट' को Cell broadcast के रूप में जारी करने की योजना बना रहा है. यूजर्स
टेलीकॉम कंपनियों पर निर्भर नहीं : एक अधिकारी ने कहा, "जब भारत में मोबाइल फोन एनएवीएलसी सिस्टम (Indian GPS - NAVLC SYSTEM ) से सिग्नल प्राप्त करने के लिए अनुकूल हो जाते हैं, तो टेलीकॉम कंपनियों पर निर्भर हुए बिना अलर्ट सीधे भेजे जा सकते हैं." SMS अलर्ट के साथ एक समस्या यह है कि ट्रैफ़िक लोड के साथ दूरसंचार नेटवर्क धीमा हो जाता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जल्द ही भारत के आपदा प्रबंधन अलर्ट की तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अलर्ट से की जाएगी." 354 करोड़ रुपये की सीएपीएस का पहला चरण एक परिभाषित क्षेत्र में सेल फोन यूजर्स को एसएमएस (लघु संदेश सेवा) के रूप में आपदा एहतियाती अलर्ट भेजना था.
चक्रवात-कोविड के दौरान मोबाइल यूजर्स को SMS अलर्ट भेजे
NDMA के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने यहां संवाददाताओं से कहा “गुजरात में चक्रवात के दौरान लगभग 3.2 करोड़ एसएमएस अलर्ट जारी किए गए, जिससे लोग सतर्क हो गए. चक्रवात के कारण एक भी जान नहीं जाने का एक कारण एसएमएस संदेशों को कहा जा सकता है.''उन्होंने कहा कि कोविड-19 अवधि के दौरान तमिलनाडु में मोबाइल उपयोगकर्ताओं को एसएमएस अलर्ट भी भेजे गए थे.
NDMA अधिकारी 24-26 जुलाई को होने वाली G20 की तीसरी और अंतिम आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की बैठक में भाग लेने के लिए यहां आए थे.यह पहली बार है कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण- DRR पर एक समर्पित कार्य समूह का गठन किया गया है,जो आपदाओं और जलवायु आपात स्थितियों से उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
यह बैठक कार्य समूह के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के संबंध में साझा प्रतिबद्धताओं और प्रमुख सिफारिशों को शामिल करते हुए विज्ञप्ति का मसौदा तैयार करने के लिए G20 देशों और उनके नेतृत्व,अंतरराष्ट्रीय संगठनों और ज्ञान भागीदारों को एक साथ लाएगी.इन क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का वैश्विक कवरेज, आपदा और जलवायु लचीला बुनियादी ढांचा, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वित्तपोषण ढांचा,आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली और DRR के लिए पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित दृष्टिकोण शामिल हैं.
सदस्य सचिव कमल किशोर के मुताबिक, पहली दो बैठकें गांधीनगर और मुंबई में हुईं. किशोर ने कहा कि गांधीनगर बैठक में पांच प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई, जिनमें प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का वैश्विक कवरेज, आपदा और जलवायु लचीला बुनियादी ढांचा, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वित्तपोषण ढांचा, आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली और डीआरआर के लिए पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित दृष्टिकोण शामिल हैं. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मामी मिज़ुटोरी, राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी, इंडोनेशिया के सिस्टम और रणनीति के उप-डॉ. रादित्य जाति, ब्राजील के दूतावास, नई दिल्ली के दूसरे सचिव पेड्रो पियासेसी डी सूजा और जी20 शेरपा राजदूत अमिताभ कांत की भागीदारी होगी.
यह विज्ञप्ति G20 देशों के लिए एक मौलिक मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में काम करेगी, जो आपदा जोखिम में कमी के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करेगी. जिसका सभी ने समर्थन किया है. यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की जाने वाली ठोस कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार करेगा, जिसमें आपदाओं से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिए वित्तीय निर्णय लेने में डीआरआर के एकीकरण की तात्कालिकता और जी20 देशों के विकास सहयोग में डीआरआर को मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया जाएगा.
आपदा लचीलापन बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन- CDRI और संयुक्त राष्ट्र महिला जैसे ज्ञान भागीदारों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान- NIDM द्वारा तकनीकी सत्रों के अलावा साइड इवेंट आयोजित किए गए. साइड इवेंट में इंफ्रास्ट्रक्चर गैप को कम करने, आपदा-लचीले बुनियादी ढांचे के प्रशासन और महिलाओं के नेतृत्व वाले और समुदाय-आधारित डीआरआर को बढ़ाने के लिए लचीलापन लाभांश हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
(आईएएनएस)