ETV Bharat / science-and-technology

ए1 सिस्टम ट्विटर और रेड्डिट पर लगा सकता है विदेशी ट्रोल्स का पता : शोध - गलत सूचना अभियानों की जांच

जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चीन, रूस और वेनेजुएला में अतीत में गलत सूचना अभियानों की जांच की, जो 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले और बाद में कथित तौर पर अमेरिका के खिलाफ छेड़े गए थे.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Jul 25, 2020, 2:55 AM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:51 PM IST

न्यूयॉर्क : जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चीन, रूस और वेनेजुएला में अतीत में गलत सूचना अभियानों की जांच की, जो 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले और बाद में कथित तौर पर अमेरिका के खिलाफ छेड़े गए थे.

टीम ने ट्विटर और रेडिट पर पोस्ट और हाइपरलिंक या URL को शामिल करने के लिए पोस्ट के विश्लेषण के बाद इन अभियानों के पैटर्न की पहचान की.

परीक्षणों की एक श्रृंखला चलाने के बाद, उन्होंने पाया कि उनका मॉडल उन पोस्ट और खातों की पहचान करने में प्रभावी था, जो एक विदेशी प्रभाव अभियान का हिस्सा थे. इनमें वे अकाउंट्स भी शामिल थे, जिनका पहले कभी उपयोग नहीं किया गया था.

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमेरिकी राजनीति में विदेशी प्रभाव को उजागर करने के लिए एक वास्तविक समय की निगरानी प्रणाली बनाने के लिए अपने काम पर सक्षम होंगे.

प्रिंसटन स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रोफेसर जैकब शापिरो ने कहा, 'हमारे शोध का मतलब यह है कि आप वास्तविक समय में अनुमान लगा सकते हैं कि इसमें से कितना दूर हैं, और वे किस बारे में बात कर रहे हैं.'

पढ़ें -टेलिस्कोप ने बेबी सन के पास दो ग्रहों के पारिवारिक चित्र को कैप्चर किया

'यह परफेक्ट नहीं है, लेकिन यह इन एक्टर्स को और अधिक रचनात्मक बनाने और संभवतः उनके प्रयासों को रोकने के लिए मजबूर करेगा.आप केवल कल्पना कर सकते हैं कि अगर कोई इंजीनियरिंग इसको लेकर अनुकूलित प्रयास करे, तो यह कितना बेहतर हो सकता है.'

टीम ने ट्विटर और रेडिट के ट्रोल कैंपेन के आंकड़ों को पॉलिटिक्स से जुड़े यूजर्स और एवरेज यूजर्स के पोस्ट पर एक रिच डेटासेट के साथ जोड़ दिया, जो न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सोशल मीडिया एंड पॉलिटिक्स (CSMaP) द्वारा कई सालों से कलेक्ट किया गया था.

न्यूयॉर्क : जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चीन, रूस और वेनेजुएला में अतीत में गलत सूचना अभियानों की जांच की, जो 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले और बाद में कथित तौर पर अमेरिका के खिलाफ छेड़े गए थे.

टीम ने ट्विटर और रेडिट पर पोस्ट और हाइपरलिंक या URL को शामिल करने के लिए पोस्ट के विश्लेषण के बाद इन अभियानों के पैटर्न की पहचान की.

परीक्षणों की एक श्रृंखला चलाने के बाद, उन्होंने पाया कि उनका मॉडल उन पोस्ट और खातों की पहचान करने में प्रभावी था, जो एक विदेशी प्रभाव अभियान का हिस्सा थे. इनमें वे अकाउंट्स भी शामिल थे, जिनका पहले कभी उपयोग नहीं किया गया था.

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमेरिकी राजनीति में विदेशी प्रभाव को उजागर करने के लिए एक वास्तविक समय की निगरानी प्रणाली बनाने के लिए अपने काम पर सक्षम होंगे.

प्रिंसटन स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रोफेसर जैकब शापिरो ने कहा, 'हमारे शोध का मतलब यह है कि आप वास्तविक समय में अनुमान लगा सकते हैं कि इसमें से कितना दूर हैं, और वे किस बारे में बात कर रहे हैं.'

पढ़ें -टेलिस्कोप ने बेबी सन के पास दो ग्रहों के पारिवारिक चित्र को कैप्चर किया

'यह परफेक्ट नहीं है, लेकिन यह इन एक्टर्स को और अधिक रचनात्मक बनाने और संभवतः उनके प्रयासों को रोकने के लिए मजबूर करेगा.आप केवल कल्पना कर सकते हैं कि अगर कोई इंजीनियरिंग इसको लेकर अनुकूलित प्रयास करे, तो यह कितना बेहतर हो सकता है.'

टीम ने ट्विटर और रेडिट के ट्रोल कैंपेन के आंकड़ों को पॉलिटिक्स से जुड़े यूजर्स और एवरेज यूजर्स के पोस्ट पर एक रिच डेटासेट के साथ जोड़ दिया, जो न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सोशल मीडिया एंड पॉलिटिक्स (CSMaP) द्वारा कई सालों से कलेक्ट किया गया था.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.