ETV Bharat / opinion

विशेष : नकारात्मकता वाली मानसिकता बदलने में लगे पीएम मोदी

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 86 मिनट का भाषण दिया. पीएम ने अपने भाषण में आत्मनिर्भर भारत का जिक्र किया. साथ ही पीएम ने राष्ट्र की मानसिकता में घर कर गई नकारात्मकता को बाहर निकालने पर जोर दिया. पढ़ें पूरी खबर...

pm modi
pm modi
author img

By

Published : Aug 15, 2020, 5:18 PM IST

Updated : Aug 17, 2020, 3:42 PM IST

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंबे भाषण का यदि कोई एकमात्र मकसद था, तो वह कि कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण राष्ट्र की मानसिकता में घर कर गई नकारात्मकता को बाहर निकालना. साथ ही लोगों में मानवीय भावना और विकास के लिए फिर से भूख को बहाल करना था. मोदी के भाषण की सबसे जोरदार पंक्ति यह थी कि यदि हम लोगों के पास जूझने के लिए बहुत सारी समस्याएं हैं तो हमलोगों के बीच ऐसे लोग भी हैं जो उनका समाधान कर सकते हैं. मोदी का लालकिला से यह लगातार सातवां भाषण था.

अपनी सरकार के प्रयासों को नकारने की सोच वाले अपने आलोचकों को जवाब देते हुए मोदी ने जोरदार ढंग से उस संकल्प को दोहराया कि भारत को तेजी से बदलकर विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जो कुछ करना होगा वह करेंगे. ऐसा करके मोदी ने दिखाया कि वह आने वाले समय में जो काम आने वाला है उससे वे डरे नहीं हैं और उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. मोदी ने वर्ष 2014 में बड़ी जीत हासिल की थी और उनसे उम्मीद लगाए भारत की जनता ने उन्हें वर्ष 2019 में उससे भी भारी जनमत देकर सत्ता सौंपी है.

'भारत में बने और दुनिया के लिए बने'
जब से चीन से उत्पन्न हुई महामारी ने कहर बरपाना शुरू किया है, तब से मोदी का सर्वाधिक ध्यान 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर है. मोदी के भाषण में भी इसी पर जोर था. मोदी ने अपने 86 मिनट के भाषण में आधुनिक, शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत, जिसकी ताकत को सभी गंभीरता से लें, का रोड मैप बताया. 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड' यानी 'भारत में बने और दुनिया के लिए बने' कहकर भारत के बारे में उन्होंने अपने पहले कही बात को विस्तार भी दिया. इसके बारे में उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह होगा कि भारत हर हाल में आत्मनिर्भर बने और अपने प्रचूर प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल अपने घरेलू उपयोग के साथ वैश्विक बाजार के लिए सामान बनाने के लिए भी करे.

'मेक फॉर द वर्ल्ड' मंत्र के साथ आगे बढ़ना है

यदि यह कोई सोचता है कि ये सारी कोरी बाते हैं काम की नहीं तो प्रधानमंत्री ने उस अभियान का उल्लेख किया जिससे पिछले वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच भी देश में रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया. दुनिया की बड़ी कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं. प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए के 'आत्म निर्भर भारत' कार्यक्रम के तहत उठाए गए कदमों की सूची भी गिनाई. इसमें कृषि क्षेत्र को पटरी पर लाने और कृषि आधारित उद्योगों के तेजी से विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए भी शामिल हैं. मोदी ने उदार आयात व्यवस्था के विचार को खारिज करने वाले शब्दों की कमी नहीं की. उन्होंने कहा कि सोचें कि आखिर कब तक हम कच्चा माल निर्यात और तैयार माल आयात करते रहेंगे. भारत के पास प्रचूर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन है और समय की मांग है कि उसका मूल्य संवर्धन करें. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब हमें 'मेक इन इंडिया' के साथ 'मेक फॉर द वर्ल्ड' मंत्र के साथ आगे की ओर बढ़ना है.

टूटनी चाहिए जड़ता

उन्होंने मल्टी मोडल कनेक्टिविटी का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए एक बड़ी योजना का भी खुलासा किया, उन्होंने कहा कि इससे पूरे देश को जोड़ा जाना चाहिए एवं जड़ता टूटनी चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने पूरे भारत के तटीय क्षेत्रों में चार लेन वाले उच्च मार्ग बनाने की योजना की घोषणा की. यह उसी तरह की है जैसी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में 5 हजार 846 किलोमीटर लंबी स्वर्णिम चतुर्भुज उच्च मार्ग नेटवर्क शुरू किया गया था. अनलॉक के विभिन्न चरणों के तहत भारत में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो रही है, मोदी ने विस्तार से उन बहुत सारे भारतीयों की उस चिंता का समाधान किया कि कोरोना वायरस खत्म होगा, आखिर वे लोग कब तक इसकी उम्मीद कर सकते हैं?

उन्होंने देश में विकसित किए जा रहे कोरोना के टीके के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि एक नहीं बल्कि तीन-तीन टीकों का परीक्षण चल रहा है जो क्लिनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में है. मोदी ने कहा कि एक बार जब इन टीकों को सारी जरूरी मंजूरी मिल जाएगी तो बड़े पैमाने पर उनका उत्पादन शुरू हो जाएगा और तैयार हो जाने के बाद लोगों को उसे मुहैया कराने में देर नहीं होगी, क्योंकि सभी भारतीयों तक उपलब्ध कराने के लिए सारे इंतजाम पहले ही कर लिए गए हैं. स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर मोदी ने राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ मिशन के तैयार होने का संकेत दिया, जिसमें प्रत्येक भारतीय के पास उसका अपना स्वास्थ्य पहचान-पत्र होगा. उस आईडी और उसके स्वास्थ्य के प्रोफाइल में उस व्यक्ति को कौन-कौन सी बीमारी है, उनका क्या उपचार हुआ है, कितनी बार डॉक्टर के पास गया है और कौन सी दवाएं ली हैं आदि सबका विस्तृत ब्योरा दर्ज रहेगा.

जम्मू-कश्मीर के विकास की एक नई यात्रा का साल

चीन के साथ गतिरोध और संविधान का अनुच्छेद- 370 के रद्द किए जाने के एक साल बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की स्थिति ने भी मोदी के भाषण में विशेष स्थान पाया. इस दौरान मोदी ने चीन को कड़ी चेतावनी दी. प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से विधानसभा चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए परिसीमन के काम को जल्द पूरा कर लेने का वादा किया. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह एक साल जम्मू-कश्मीर के विकास की एक नई यात्रा का साल है. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम चल रहा है. देश इस काम को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि चुनाव हों और वहां जन प्रतिनिधि निर्वाचित हों.

चीन की घुसपैठ को लेकर अक्सर सरकार से जवाब पर चुटकी लेने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी जैसे अपने आलोचकों का उल्लेख करते हुए मोदी ने जोर देकर कहा कि चाहे विस्तारवाद (चीन का) हो या आतंकवाद (सीमा पार पाकिस्तान से) जिसने भी देश की संप्रभुता को चुनौती दी, उसका भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक जब भी भारत की संप्रभुता को चुनौती दी गई, हमारे सैनिकों ने उन्हें अपनी भाषा में जवाब दिया.

एनसीसी कैडेट्स को ट्रेनिंग देगी सेना

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती इलाकों में नेशनल कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) के एक हिंस्र बल के रूप में विस्तार की एक नई योजना पेश करते हुए इसके तहत एक लाख से अधिक लोगों को नियुक्त करने की बात कही, जिन्हें बाद में सेना या अर्धसैनिक बलों में भर्ती कर लिया जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि मोदी ने अपने नेतृत्व के तहत भारत की विदेश नीति का एक पहलू भी बताया. उन्होंने कहा कि पड़ोसी वह होता है जो सिर्फ हमारी सीमा ही नहीं साझा करता बल्कि हमारे दिलों की भी साझेदारी करता है. जहां रिश्तों का आदर होता है वहां इसमें गर्मजोशी आती है. आज भारत का अपने अधिकतर पड़ोसियों से करीबी रिश्ता है. हमलोग मिलकर काम कर रहे हैं और एक दूसरे के लिए बहुत आदर है.

उनके इस कथन को इशारे के रूप में भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ ठंडे पड़ते रिश्तों के बीच जापान, आस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ होते संबंधों के तौर पर देखा जा सकता है. मोदी अपने भाषण में राम मंदिर निर्माण का उल्लेख करना भी नहीं भूले, जिसका अयोध्या में उन्होंने पांच अगस्त को भूमि पूजन किया था. उन्होंने कहा कि रामजन्म भूमि का मुद्दा सदियों से लटका हुआ था, उसका शांतिपूर्ण ढंग से समाधान हो गया. मोदी ने कहा कि देश के लोगों का कार्य अभूतपूर्व है और यह भविष्य के लिए एक प्रेरणा है. उनकी यह बात उन लोगों के लिए मानी जा रही है जो उस कार्यक्रम में उनके भाग लेने पर सवाल उठा रहे थे.

(शेखर अय्यर, वरिष्ठ पत्रकार)

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंबे भाषण का यदि कोई एकमात्र मकसद था, तो वह कि कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण राष्ट्र की मानसिकता में घर कर गई नकारात्मकता को बाहर निकालना. साथ ही लोगों में मानवीय भावना और विकास के लिए फिर से भूख को बहाल करना था. मोदी के भाषण की सबसे जोरदार पंक्ति यह थी कि यदि हम लोगों के पास जूझने के लिए बहुत सारी समस्याएं हैं तो हमलोगों के बीच ऐसे लोग भी हैं जो उनका समाधान कर सकते हैं. मोदी का लालकिला से यह लगातार सातवां भाषण था.

अपनी सरकार के प्रयासों को नकारने की सोच वाले अपने आलोचकों को जवाब देते हुए मोदी ने जोरदार ढंग से उस संकल्प को दोहराया कि भारत को तेजी से बदलकर विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जो कुछ करना होगा वह करेंगे. ऐसा करके मोदी ने दिखाया कि वह आने वाले समय में जो काम आने वाला है उससे वे डरे नहीं हैं और उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. मोदी ने वर्ष 2014 में बड़ी जीत हासिल की थी और उनसे उम्मीद लगाए भारत की जनता ने उन्हें वर्ष 2019 में उससे भी भारी जनमत देकर सत्ता सौंपी है.

'भारत में बने और दुनिया के लिए बने'
जब से चीन से उत्पन्न हुई महामारी ने कहर बरपाना शुरू किया है, तब से मोदी का सर्वाधिक ध्यान 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर है. मोदी के भाषण में भी इसी पर जोर था. मोदी ने अपने 86 मिनट के भाषण में आधुनिक, शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत, जिसकी ताकत को सभी गंभीरता से लें, का रोड मैप बताया. 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड' यानी 'भारत में बने और दुनिया के लिए बने' कहकर भारत के बारे में उन्होंने अपने पहले कही बात को विस्तार भी दिया. इसके बारे में उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह होगा कि भारत हर हाल में आत्मनिर्भर बने और अपने प्रचूर प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल अपने घरेलू उपयोग के साथ वैश्विक बाजार के लिए सामान बनाने के लिए भी करे.

'मेक फॉर द वर्ल्ड' मंत्र के साथ आगे बढ़ना है

यदि यह कोई सोचता है कि ये सारी कोरी बाते हैं काम की नहीं तो प्रधानमंत्री ने उस अभियान का उल्लेख किया जिससे पिछले वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच भी देश में रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया. दुनिया की बड़ी कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं. प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए के 'आत्म निर्भर भारत' कार्यक्रम के तहत उठाए गए कदमों की सूची भी गिनाई. इसमें कृषि क्षेत्र को पटरी पर लाने और कृषि आधारित उद्योगों के तेजी से विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए भी शामिल हैं. मोदी ने उदार आयात व्यवस्था के विचार को खारिज करने वाले शब्दों की कमी नहीं की. उन्होंने कहा कि सोचें कि आखिर कब तक हम कच्चा माल निर्यात और तैयार माल आयात करते रहेंगे. भारत के पास प्रचूर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन है और समय की मांग है कि उसका मूल्य संवर्धन करें. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब हमें 'मेक इन इंडिया' के साथ 'मेक फॉर द वर्ल्ड' मंत्र के साथ आगे की ओर बढ़ना है.

टूटनी चाहिए जड़ता

उन्होंने मल्टी मोडल कनेक्टिविटी का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए एक बड़ी योजना का भी खुलासा किया, उन्होंने कहा कि इससे पूरे देश को जोड़ा जाना चाहिए एवं जड़ता टूटनी चाहिए. इस संदर्भ में उन्होंने पूरे भारत के तटीय क्षेत्रों में चार लेन वाले उच्च मार्ग बनाने की योजना की घोषणा की. यह उसी तरह की है जैसी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में 5 हजार 846 किलोमीटर लंबी स्वर्णिम चतुर्भुज उच्च मार्ग नेटवर्क शुरू किया गया था. अनलॉक के विभिन्न चरणों के तहत भारत में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो रही है, मोदी ने विस्तार से उन बहुत सारे भारतीयों की उस चिंता का समाधान किया कि कोरोना वायरस खत्म होगा, आखिर वे लोग कब तक इसकी उम्मीद कर सकते हैं?

उन्होंने देश में विकसित किए जा रहे कोरोना के टीके के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि एक नहीं बल्कि तीन-तीन टीकों का परीक्षण चल रहा है जो क्लिनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में है. मोदी ने कहा कि एक बार जब इन टीकों को सारी जरूरी मंजूरी मिल जाएगी तो बड़े पैमाने पर उनका उत्पादन शुरू हो जाएगा और तैयार हो जाने के बाद लोगों को उसे मुहैया कराने में देर नहीं होगी, क्योंकि सभी भारतीयों तक उपलब्ध कराने के लिए सारे इंतजाम पहले ही कर लिए गए हैं. स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर मोदी ने राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ मिशन के तैयार होने का संकेत दिया, जिसमें प्रत्येक भारतीय के पास उसका अपना स्वास्थ्य पहचान-पत्र होगा. उस आईडी और उसके स्वास्थ्य के प्रोफाइल में उस व्यक्ति को कौन-कौन सी बीमारी है, उनका क्या उपचार हुआ है, कितनी बार डॉक्टर के पास गया है और कौन सी दवाएं ली हैं आदि सबका विस्तृत ब्योरा दर्ज रहेगा.

जम्मू-कश्मीर के विकास की एक नई यात्रा का साल

चीन के साथ गतिरोध और संविधान का अनुच्छेद- 370 के रद्द किए जाने के एक साल बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की स्थिति ने भी मोदी के भाषण में विशेष स्थान पाया. इस दौरान मोदी ने चीन को कड़ी चेतावनी दी. प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से विधानसभा चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए परिसीमन के काम को जल्द पूरा कर लेने का वादा किया. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह एक साल जम्मू-कश्मीर के विकास की एक नई यात्रा का साल है. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम चल रहा है. देश इस काम को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि चुनाव हों और वहां जन प्रतिनिधि निर्वाचित हों.

चीन की घुसपैठ को लेकर अक्सर सरकार से जवाब पर चुटकी लेने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी जैसे अपने आलोचकों का उल्लेख करते हुए मोदी ने जोर देकर कहा कि चाहे विस्तारवाद (चीन का) हो या आतंकवाद (सीमा पार पाकिस्तान से) जिसने भी देश की संप्रभुता को चुनौती दी, उसका भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक जब भी भारत की संप्रभुता को चुनौती दी गई, हमारे सैनिकों ने उन्हें अपनी भाषा में जवाब दिया.

एनसीसी कैडेट्स को ट्रेनिंग देगी सेना

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती इलाकों में नेशनल कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) के एक हिंस्र बल के रूप में विस्तार की एक नई योजना पेश करते हुए इसके तहत एक लाख से अधिक लोगों को नियुक्त करने की बात कही, जिन्हें बाद में सेना या अर्धसैनिक बलों में भर्ती कर लिया जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि मोदी ने अपने नेतृत्व के तहत भारत की विदेश नीति का एक पहलू भी बताया. उन्होंने कहा कि पड़ोसी वह होता है जो सिर्फ हमारी सीमा ही नहीं साझा करता बल्कि हमारे दिलों की भी साझेदारी करता है. जहां रिश्तों का आदर होता है वहां इसमें गर्मजोशी आती है. आज भारत का अपने अधिकतर पड़ोसियों से करीबी रिश्ता है. हमलोग मिलकर काम कर रहे हैं और एक दूसरे के लिए बहुत आदर है.

उनके इस कथन को इशारे के रूप में भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ ठंडे पड़ते रिश्तों के बीच जापान, आस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ होते संबंधों के तौर पर देखा जा सकता है. मोदी अपने भाषण में राम मंदिर निर्माण का उल्लेख करना भी नहीं भूले, जिसका अयोध्या में उन्होंने पांच अगस्त को भूमि पूजन किया था. उन्होंने कहा कि रामजन्म भूमि का मुद्दा सदियों से लटका हुआ था, उसका शांतिपूर्ण ढंग से समाधान हो गया. मोदी ने कहा कि देश के लोगों का कार्य अभूतपूर्व है और यह भविष्य के लिए एक प्रेरणा है. उनकी यह बात उन लोगों के लिए मानी जा रही है जो उस कार्यक्रम में उनके भाग लेने पर सवाल उठा रहे थे.

(शेखर अय्यर, वरिष्ठ पत्रकार)

Last Updated : Aug 17, 2020, 3:42 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.