नई दिल्ली: 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी के फंदे से लटका दिया जाएगा. तिहाड़ जेल में इन दोषियों को किस तरीके से फांसी दी जाएगी और किस तरह से कानूनी प्रक्रिया होगी. इसे लेकर ईटीवी भारत ने बात की तिहाड़ जेल के पूर्व कानूनी सलाहकार सुनील गुप्ता से जो कई फांसी अपने कार्यकाल के दौरान देख चुके हैं.
तिहाड़ जेल में 35 वर्ष
अपनी जिंदगी के 35 वर्षों तक तिहाड़ जेल में अपनी सेवा दे चुके एवं कानूनी सलाहकार के पद से सेवानिवृत्त हुए सुनील गुप्ता ने बताया कि अब 20 मार्च को निर्भया कांड के दोषियों की फांसी होना लगभग तय है. जेल में अपने कार्यकाल के दौरान आठ फांसी के मामले उन्होंने देखे. इनमें 1982 में हुई रंगा-बिल्ला की फांसी और 2013 में हुई अफजल गुरु की फांसी शामिल हैं. लेकिन तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब एक साथ चार लोगों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा.
कैसे होगी फांसी की प्रक्रिया पूरी
सुनील गुप्ता ने बताया कि तिहाड़ जेल संख्या तीन में फांसी की कोठरी है. इस मामले में 20 मार्च की सुबह लगभग 4 बजे दोषियों को फांसी के लिए जगाया जाएगा. उनसे नहाने के लिए पूछा जाएगा. उन्हें पीने के लिए चाय दी जाएगी. इसके बाद उन्हें काले कपड़े पहनने के लिए दिए जाएंगे. लगभग 4.30 बजे तक मजिस्ट्रेट वहां पहुंचेंगे और दोषियों से उनकी अंतिम इच्छा पूछेंगे. अगर वह कोई कानूनी प्रक्रिया पूरी करना चाहते हैं तो इसे रिकॉर्ड किया जाएगा. इसके बाद जल्लाद उनके दोनों हाथ पीछे बांधकर उन्हें फांसी के तख्त पर ले जाएगा. वहां उन्हें लकड़ी के फट्टे पर खड़ा करने के बाद उनके पैर बांध दिए जाएंगे और सिर को काले कपड़े से ढक दिया जाएगा. चारों के गले में फांसी का फंदा डालकर जल्लाद लीवर को खींच देगा, जिससे चारों की मौत हो जाएगी.
आधे घंटे तक फंदे से ही लटके रहेंगे दोषी
तिहाड़ जेल के पूर्व कानूनी सलाहकार सुनील गुप्ता ने बताया कि फांसी होने के बाद लगभग 30 मिनट तक दोषियों को फंदे से लटकाकर ही रखा जाएगा. इसके बाद जाकर डॉक्टर जांच करेंगे और उन्हें मृत घोषित करेंगे. फिर उनके शव को उतारकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के शवगृह भेजा जाएगा. पोस्टमार्टम के बाद उनका शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा. अगर कोई शव लेने से इनकार करता है तो उसके शव का अंतिम संस्कार तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा किया जाएगा. जेल प्रशासन द्वारा इन चारों का सामान उनके परिवार को सौंप दिया जाएगा.
फांसी से मिसाल पेश करने का प्रयास
सुनील गुप्ता ने बताया कि फांसी की सजा समाज के बीच मिसाल पेश करने के लिए होती है. ताकि भविष्य में कोई ऐसा अपराध न करे. हत्या के मामलों में भी फांसी की सजा कई बार हो चुकी है, लेकिन इसका कोई फायदा देखने को नहीं मिल रहा है. न केवल राजधानी में बल्कि देशभर में हत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.