नई दिल्लीः निजी फाइनेंस कंपनी के जरिए फर्जी लोन देकर किए गए घोटाले में एक निदेशक को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी ने फर्जी लोन के लिए इन कंपनियों को बनाया था. आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा गिरफ्तार किए गए शख्स की पहचान राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल के रूप में की गई है. उसकी कंपनियों को 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि डाइवर्ट की गई थी. करीब 2,397 करोड़ के इस घोटाले में पहले भी कई आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं.
बिना आधार की कंपनियों को दिया गया लोन
संयुक्त आयुक्त ओपी मिश्रा के अनुसार, निजी फाइनेंस कंपनी के अधिकारी मनप्रीत सिंह सूरी की तरफ से मालविंदर मोहन सिंह, शिवेंद्र मोहन सिंह, सुनील गोस्वामी एवं अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी. शिकायत में कहा गया था कि कंपनी को फर्जी लोन देने की वजह से काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. इन आरोपियों का कंपनी में काफी कंट्रोल था. इस वजह से फर्जी लोन जारी किए गए. फर्जी लोन पाने वाली कंपनियों का कोई आर्थिक आधार नहीं था. लोन की वजह से निजी फाइनेंस कंपनी को 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसका खुलासा आरबीआई और सेबी की जांच में हुआ था.
फर्जी कंपनी के जरिये लिए 670 करोड़ रुपये
राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल तीन कंपनियों में निदेशक थे. इन कंपनियों को वर्ष 2016-17 के दौरान मालविंदर मोहन सिंह और शिवेंद्र मोहन सिंह द्वारा 670 करोड़ रुपये दिये गए. ये दोनों निजी फाइनेंस कंपनी के प्रमोटर थे. प्राथमिक जांच के बाद मार्च 2019 में ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज किया गया था. मालविंदर मोहन सिंह और शिवेंद्र मोहन सिंह को तीन अन्य अधिकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया. इसे लेकर आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है.