तेहरान : एक दशक से भी अधिक समय तक ईरान पर टैंक और फाइटर जैट जैसे हथियारों के आयात पर लगा प्रतिबंध रविवार यानी आज खत्म हो रहा है. यह प्रतिबंध वैश्विक शक्तियों के साथ ईरान को परमाणु समझौते के तहत योजनाबद्ध तरीके से विदेशी हथियारों की खरीद करने से रोकता है. इससे पहले अमेरिका ने प्रतिबंध की समाप्ति पर आपत्ति भी जताई थी.
ईरान अपनी 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले सैन्य आयुध को उन्नत करने और विदेश में अपने स्वयं के उत्पादित गियर को बेचने के लिए हथियार खरीद सकता है.
बता दें कि, बढ़ते अमेरिकी प्रतिबंधों से ईरान की अर्थव्यवस्था जरूर चरमरा गई है. इसी क्रम में अन्य देश अमेरिका के प्रतिशोध के डर से ईरान के साथ हथियारों के सौदे से बच सकते हैं.
इस्लामिक रिपब्लिक ने हथियारों पर लगे प्रतिबंधों के अंत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए इसे अहम दिन के रूप में स्वीकार किया है.
इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने जोर देकर कहा है कि उसने 2018 में परमाणु समझौते में एक खंड के माध्यम से ईरान पर लगे सभी यू.एन प्रतिबंधों को फिर से लागू किया जा रहा है, जिसे 2018 में वापस ले लिया गया था.
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ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने ट्विटर पर लिखा है कि दुनिया में ईरान के रक्षा सहयोग का सामान्यीकरण हमारे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक जीत है.
गौरतलब है कि, 2007 में सुरक्षा परिषद ने ईरान पर हथियारों को लेकर प्रतिबंध लगा दिया था.
अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी ने 2019 में भविष्यवाणी की थी कि अगर प्रतिबंध खत्म हो गया, तो ईरान संभवतः रूसी एसयू -30 लड़ाकू जेट, याक -130 ट्रेनर विमान और टी -90 टैंक खरीदने की कोशिश करेगा.
तेहरान रूस के एस -400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम और इसके बास्टियन कोस्टल डिफेंस मिसाइल सिस्टम को खरीदने की कोशिश भी कर सकता है. इसके अलावा चीन ईरान को हथियार भी बेच सकता है.
अमेरिका से अरबों डॉलर के हथियारों की खरीद करने वाले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से ईरान अलग-थलग पड़ा हुआ है. इन सब चीजों के जवाब में अब वह स्वनिर्मित बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने की ओर रुख कर रहा है.