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लेबनान में भयंकर आर्थिक संकट, नेताओं ने चोरी के पनाहगाहों में छिपाए पैसे

विश्वबैंक ने कहा है कि लेबनान दुनिया में पिछले 150 सालों के सबसे भयंकर आर्थिक संकटों में फंसा है और 70 फीसदी लेबनानी लोग गरीबी के दलदल में फंसे हैं, उनके पास जमा पूंजी खत्म हो गई है और उसकी वजह है राजनीतिक वर्ग का भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन.

प्रधानमंत्री नजीब मिकाती
प्रधानमंत्री नजीब मिकाती
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Published : Oct 6, 2021, 6:38 PM IST

बेरूत : पैंडोरा पेपर्स से इस बात की पुष्टि हुई है कि लेबनान के नेताओं एवं बैंकरों ने विदेशों में अवैध धन की पनाहगाहों ने अपने धन से महंगी संपत्तियां खरीदी है. पिछले कई दशक में दुनिया के सबसे भयंकर आर्थिक संकटों में से एक से गुजर रहे लेबनान की गरीब जनता के लिए यह पीड़ादायक रहा है. इन विदेशी खातों में कई उसी सत्तारूढ़ अभिजात्य वर्ग के हैं जिनपर देश को इस दुर्दशा में पहुंचाने एवं आम लेबनानियों की जिंदगी पटरी से उतारने का आरोप लग रहा है. आम लेबनानियों की बचत खत्म हो गई है और अब वे ईंधन, बिजली एवं दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

आप को बता दें कि लीक हुए दस्तावेजों में सेंट्रल बैंक के लंबे समय तक गर्वनर रहे शख्स और प्रधानमंत्री नजीब मिकाती और उनके पूर्ववर्ती के नाम हैं. सेंट्रल बैंक के गर्वनर रहे शख्स वित्तीय संकट पैदा करने वाली विफल नीतियों के केंद्र में है.

इसे भी पढ़़ें-जुकरबर्ग ने तोड़ी चुप्पी, कहा- व्हिसलब्लोअर के दावे का 'कोई मतलब नहीं'

‘पैंडोरा पेपर्स' नामक इन दस्तावेजों की जांच इंटरनेशनल कर्सोटियम आफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने की और उसके पहले निष्कर्ष को रविवार को जारी किया गया. उनमें 200 से अधिक देशों एवं क्षेत्रों के अनेक सबसे अमीर और सबसे प्रभावशाली लोग संपत्ति छिपाने और कर अदा करने से बचाने वाले वित्तीय पनाहगाहों का ब्योरा है. लेबनानी पत्रकार आलिया इब्राहीम ने कहा कि ये कागजात दर्शाते हैं कि कैसे राजनीतिक वर्ग सालों से विदेश पैसे भेज रहा था और वह इस आश्वासन के साथ लोगों से लेबनान के बैंकों में पैसा करने की अपील करता था कि वह सुरक्षित है.

विश्वबैंक के अनुसार लेबनान दुनिया में पिछले 150 सालों के सबसे भयंकर आर्थिक संकटों में फंसा है तथा 70 फीसद लोग गरीबी के दलदल में फंस गए हैं, उनकी बचत का सफाया हो गया है. उसकी वजह राजनीतिक वर्ग का भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन है.

(पीटीआई-भाषा)

बेरूत : पैंडोरा पेपर्स से इस बात की पुष्टि हुई है कि लेबनान के नेताओं एवं बैंकरों ने विदेशों में अवैध धन की पनाहगाहों ने अपने धन से महंगी संपत्तियां खरीदी है. पिछले कई दशक में दुनिया के सबसे भयंकर आर्थिक संकटों में से एक से गुजर रहे लेबनान की गरीब जनता के लिए यह पीड़ादायक रहा है. इन विदेशी खातों में कई उसी सत्तारूढ़ अभिजात्य वर्ग के हैं जिनपर देश को इस दुर्दशा में पहुंचाने एवं आम लेबनानियों की जिंदगी पटरी से उतारने का आरोप लग रहा है. आम लेबनानियों की बचत खत्म हो गई है और अब वे ईंधन, बिजली एवं दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

आप को बता दें कि लीक हुए दस्तावेजों में सेंट्रल बैंक के लंबे समय तक गर्वनर रहे शख्स और प्रधानमंत्री नजीब मिकाती और उनके पूर्ववर्ती के नाम हैं. सेंट्रल बैंक के गर्वनर रहे शख्स वित्तीय संकट पैदा करने वाली विफल नीतियों के केंद्र में है.

इसे भी पढ़़ें-जुकरबर्ग ने तोड़ी चुप्पी, कहा- व्हिसलब्लोअर के दावे का 'कोई मतलब नहीं'

‘पैंडोरा पेपर्स' नामक इन दस्तावेजों की जांच इंटरनेशनल कर्सोटियम आफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने की और उसके पहले निष्कर्ष को रविवार को जारी किया गया. उनमें 200 से अधिक देशों एवं क्षेत्रों के अनेक सबसे अमीर और सबसे प्रभावशाली लोग संपत्ति छिपाने और कर अदा करने से बचाने वाले वित्तीय पनाहगाहों का ब्योरा है. लेबनानी पत्रकार आलिया इब्राहीम ने कहा कि ये कागजात दर्शाते हैं कि कैसे राजनीतिक वर्ग सालों से विदेश पैसे भेज रहा था और वह इस आश्वासन के साथ लोगों से लेबनान के बैंकों में पैसा करने की अपील करता था कि वह सुरक्षित है.

विश्वबैंक के अनुसार लेबनान दुनिया में पिछले 150 सालों के सबसे भयंकर आर्थिक संकटों में फंसा है तथा 70 फीसद लोग गरीबी के दलदल में फंस गए हैं, उनकी बचत का सफाया हो गया है. उसकी वजह राजनीतिक वर्ग का भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन है.

(पीटीआई-भाषा)

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