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इजराइल: उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक जोड़ों के लिए किराए की कोख का रास्ता साफ किया

इजराइल के उच्चतम न्यायालय ने रविवार को समलैंगिक जोड़ों के लिए किराए की कोख के जरिए बच्चा पाने का रास्ता साफ कर दिया और कानून के उस भाग को रद्द कर दिया. जिसमें ऐसे जोड़ों को किराए की कोख कानून के दायरे से बाहर रखा गया था.

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Published : Jul 11, 2021, 8:18 PM IST

यरूशलम : सांसदों एवं कार्यकर्ताओं ने अदालत के इस कदम की सराहना करते हुए इसे एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर) अधिकारों की जीत करार दिया है. अदालत ने 2020 में आदेश दिया था कि किराए की कोख संबंधी कानून के अंतर्गत अकेली महिला को कानून का लाभ प्रदान किया गया लेकिन समलैंगिक जोड़ों को इसके दायरे से बाहर रखने से असमान रूप से समानता के अधिकार और पितृत्व के अधिकार को नुकसान पहुंचा और यह गैर-कानूनी था.

अदालत ने सरकार को नया कानून बनाने के लिए एक साल का वक्त दिया था. हालांकि संसद समयसीमा के भीतर इस पर अमल करने में नाकाम रही. शीर्ष अदालत ने रविवार को कहा कि एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने इस कानून में उपयुक्त संशोधन करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह किराए की कोख संबंधी मौजूदा कानून के कारण लगातार होने वाले मानवाधिकार हनन की गंभीर क्षति को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.

यह भी पढ़ें-अमेरिका के चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद चीन ने जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी

न्यायालय ने कहा कि कानून में बदलाव छह महीने के भीतर होना है ताकि पेशेवर दिशा-निर्देश तैयार करने की अनुमति दी जा सके. इजराइली एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता समूह अगूडा ने इस फैसले की सराहना करते हुए इसे समानता के लिए संघर्ष में ऐतिहासिक मील का पत्थर करार दिया.

(पीटीआई-भाषा)

यरूशलम : सांसदों एवं कार्यकर्ताओं ने अदालत के इस कदम की सराहना करते हुए इसे एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर) अधिकारों की जीत करार दिया है. अदालत ने 2020 में आदेश दिया था कि किराए की कोख संबंधी कानून के अंतर्गत अकेली महिला को कानून का लाभ प्रदान किया गया लेकिन समलैंगिक जोड़ों को इसके दायरे से बाहर रखने से असमान रूप से समानता के अधिकार और पितृत्व के अधिकार को नुकसान पहुंचा और यह गैर-कानूनी था.

अदालत ने सरकार को नया कानून बनाने के लिए एक साल का वक्त दिया था. हालांकि संसद समयसीमा के भीतर इस पर अमल करने में नाकाम रही. शीर्ष अदालत ने रविवार को कहा कि एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने इस कानून में उपयुक्त संशोधन करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह किराए की कोख संबंधी मौजूदा कानून के कारण लगातार होने वाले मानवाधिकार हनन की गंभीर क्षति को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.

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न्यायालय ने कहा कि कानून में बदलाव छह महीने के भीतर होना है ताकि पेशेवर दिशा-निर्देश तैयार करने की अनुमति दी जा सके. इजराइली एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता समूह अगूडा ने इस फैसले की सराहना करते हुए इसे समानता के लिए संघर्ष में ऐतिहासिक मील का पत्थर करार दिया.

(पीटीआई-भाषा)

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