सेंटियागो (चिली) : एक साल की उथल-पुथल के बीच रविवार को चिली के लोगों ने अपने राष्ट्र के लिए नए संविधान का मसौदा तैयार किया जाए अथवा नहीं, इसको लेकर मतदान किया. मतदान का मकसद लगभग चार दशक पहले सैन्य तानाशाही द्वारा लागू मार्गदर्शक सिद्धांतों को हटाकर नए संविधान का मसौदा तैयार करने के संबंध में नागरिकों की राय जानना है.
पेंशन, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में असमानता को लेकर एक साल पहले बड़े पैमाने पर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद विपक्ष ने जनमत संग्रह की अनुमति की मांग की थी, जिस पर देश की रूढ़िवादी सरकार ने सहमति जताई थी.
अगर इसे स्वीकृति मिलती है तो एक विशेष सभा एक नए संविधान का मसौदा तैयार करेगी, जिसे वर्ष 2022 के मध्य तक मतदाताओं को सौंपा जाएगा.
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चिली के वर्तमान संविधान का मसौदा तानाशाह जनरल आगस्तो पिनोशे के नेतृत्व में तैयार किया गया था और उसे मतदाताओं को भेजा गया था. ऐसा उस समय किया गया था, जब राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लागू थे और देश जबरदस्त नियंत्रण के दायरे में था.
1980 में हुए जनमत संग्रह के दौरान 66 फीसदी मत संविधान मसौदे के पक्ष में पडे़ थे. हालांकि, आलोचकों का मानना है कि उस दौरान डरा धमका कर और अत्याचारों के बल पर संविधान मसौदे के पक्ष में मतदान कराया गया था.
तत्कालीन जनमत संग्रह पर 'दी फ्राड' शीर्षक से किताब लिखने वाले राजनीतिक विशेषज्ञ क्लोडियो फ्यूंटेस ने कहा कि मुझे लगता है कि लोग डर के मारे वोट देने गए थे. 59 वर्षीय फल विक्रेता लुइसा फ्यूंटेस ने कहा कि नए संविधान के साथ हमें कार्य करने, स्वास्थ्य, पेंशन जैसी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. साथ ही बेहतर शिक्षा भी उपलब्ध हो सकेगी.