नई दिल्ली: मानवता के लिए एक अहम पड़ाव में, पिछले 12 वर्षों में एक अरब लोगों को जोड़ने के बाद मंगलवार को वैश्विक जनसंख्या आठ अरब तक पहुंच गई. वहीं, भारत अगले साल चीन को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में पछाड़ने के कगार पर है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वैश्विक आंकड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य में बड़े सुधार का संकेत देता है जिसने मृत्यु के जोखिम को कम किया है और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की है. वैश्विक निकाय ने कहा कि यह पल मानवता के लिए संख्याओं से परे देखने और लोगों व पृथ्वी की रक्षा के लिए अपनी साझा जिम्मेदारी को पूरा करने का एक स्पष्ट आह्वान है और शुरुआत सबसे कमजोर लोगों के साथ होनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने ट्वीट किया, 'आठ अरब उम्मीदें. आठ अरब सपने. आठ अरब संभावनाएं. हमारा ग्रह अब आठ अरब लोगों का घर है.' संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि अगर दुनिया अमीरों और वंचितों के बीच की खाई को खत्म नहीं करेगी तो आठ अरब की यह आबादी तनाव और अविश्वास, संकट और संघर्ष से भरी रहेगी.
भारत के 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है. जनसंख्या संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की 1.426 अरब की तुलना में 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है. 2050 में भारत की आबादी 1.668 अरब होने का अनुमान है, जो सदी के मध्य तक चीन की 1.317 अरब जनसंख्या से काफी आगे है.
जनसंख्या घड़ी ने 15 नवंबर को 8,000,000,000 का आंकड़ा दर्शाया. खास बात यह है इनमें से एक अरब लोग तो पिछले 12 वर्षों में जुड़े हैं. संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या के आठ अरब तक पहुंचने को एक 'उल्लेखनीय मील का पत्थर' करार दिया. मानव आबादी लगभग 1800 तक एक अरब से कम थी, और एक से दो अरब तक बढ़ने में 100 से अधिक वर्षों का समय लगा.
भारत-चीन का आबादी में अहम योगदान: यूएन की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में एशिया में दो सबसे अधिक आबादी वाले हैं. इनमें दक्षिण-पूर्वी एशिया (2.3 अरब) और मध्य-दक्षिणी एशिया क्षेत्र में 2.1 अरब जनसंख्या के साथ शामिल हैं. इन दो क्षेत्रों में भी ज्यादा आबादी का कारण चीन और भारत हैं. दोनों ही देशों की आबादी का अनुमान 1.4 अरब से ज्यादा लगाया गया है.
2050 तक दुनिया की आबादी में होने वाली बढ़ोतरी 8 देशों पर केंद्रित रहेगी. इसमें भारत, पाकिस्तान, कांगो, मिस्र, इथियोपिया, नाइजीरिया, फिलीपींस और तंजानिया शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, 2023 के दौरान भारत के दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है.
जनसंख्या वृद्धि आंशिक रूप से मृत्यु दर में गिरावट के कारण होती है, जैसा कि जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के बढ़े हुए स्तरों में परिलक्षित होता है. विश्व स्तर पर, 2019 में जीवन प्रत्याशा 72.8 वर्ष तक पहुंच गई, 1990 के बाद से लगभग 9 वर्षों की वृद्धि हुई. मृत्यु दर में और कमी के परिणामस्वरूप 2050 में वैश्विक स्तर पर लगभग 77.2 वर्षों की औसत दीर्घायु होने का अनुमान है.
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उच्चतम प्रजनन स्तर वाले देश प्रति व्यक्ति सबसे कम आय वाले देश होते हैं. इसलिए वैश्विक जनसंख्या वृद्धि समय के साथ दुनिया के सबसे गरीब देशों में केंद्रित हो गई है, जिनमें से अधिकांश उप-सहारा अफ्रीका में हैं. इन देशों में, निरंतर तीव्र जनसंख्या वृद्धि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि को विफल कर सकती है, जो एक खुशहाल और स्वस्थ भविष्य की ओर दुनिया का सबसे अच्छा मार्ग है.