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जब राष्ट्र समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है : जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने हिंद महासागर सम्मेलन के छठे संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना करते हैं, तो भरोसे को काफी नुकसान होता है. पढ़िए पूरी खबर...

External Affairs Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर
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Published : May 12, 2023, 10:17 PM IST

ढाका : चीन पर परोक्ष हमला बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने शुक्रवार को कहा कि जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित हिंद महासागर सम्मेलन के छठे संस्करण को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझा चिंता गैर-व्यवहार्य परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न ऋण है.

  • Speaking at the inaugural session of the 6th Indian Ocean Conference in Dhaka, Bangladesh. https://t.co/n1yWnAAPry

    — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने के लिए कानून व मानदंडों का पालन करना और नियमों का सम्मान करना एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक पहलु है. चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौते के उल्लंघन के स्पष्ट संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, 'जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं. जैसा कि हमने देखा है कि इससे भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है.'

उन्होंने कहा, '... इसलिए यह आवश्यक है कि हम सभी अपने हितों के सामरिक दृष्टिकोण के बजाय अपने सहयोग के मद्देनजर दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं.' भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक व्यवहार की आलोचना करता रहा है, जो सीमा संबंधी समझौते का उल्लंघन है. जयशंकर ने कहा, 'पिछले दो दशकों के कुछ सबक हैं, जिन्हें हम अपने जोखिम पर अनदेखा करते हैं. यदि हम ऐसे अपारदर्शी ऋण और महंगी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करते हैं, तो हमें पहले या बाद में इसका नुकसान उठाना होगा.'

सुचारू और प्रभावी संपर्क के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा कि देशों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि भारत 60 अरब डॉलर के 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' का विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिससे चीन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अरब सागर तक पहुंच मिलती है.

ये भी पढ़ें - EAM Jaishankar Bangladesh Visit : एस जयशंकर ढाका पहुंचे, पीएम शेख हसीना से की मुलाकात

(पीटीआई-भाषा)

ढाका : चीन पर परोक्ष हमला बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने शुक्रवार को कहा कि जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित हिंद महासागर सम्मेलन के छठे संस्करण को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझा चिंता गैर-व्यवहार्य परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न ऋण है.

  • Speaking at the inaugural session of the 6th Indian Ocean Conference in Dhaka, Bangladesh. https://t.co/n1yWnAAPry

    — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने के लिए कानून व मानदंडों का पालन करना और नियमों का सम्मान करना एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक पहलु है. चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौते के उल्लंघन के स्पष्ट संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, 'जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं. जैसा कि हमने देखा है कि इससे भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है.'

उन्होंने कहा, '... इसलिए यह आवश्यक है कि हम सभी अपने हितों के सामरिक दृष्टिकोण के बजाय अपने सहयोग के मद्देनजर दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं.' भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक व्यवहार की आलोचना करता रहा है, जो सीमा संबंधी समझौते का उल्लंघन है. जयशंकर ने कहा, 'पिछले दो दशकों के कुछ सबक हैं, जिन्हें हम अपने जोखिम पर अनदेखा करते हैं. यदि हम ऐसे अपारदर्शी ऋण और महंगी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करते हैं, तो हमें पहले या बाद में इसका नुकसान उठाना होगा.'

सुचारू और प्रभावी संपर्क के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा कि देशों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि भारत 60 अरब डॉलर के 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' का विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिससे चीन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अरब सागर तक पहुंच मिलती है.

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(पीटीआई-भाषा)

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