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USCIRF religious freedom in India: भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगा यूएससीआईआरएफ - अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग अगले हफ्ते भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सुनवाई करेगा. यूएससीआईआरएफ का आरोप है कि भारत सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर भेदभावपूर्ण नीतियां बनाई.

USCIRF to hear next week on religious freedom in India
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगा यूएससीआईआरएफ
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 15, 2023, 1:23 PM IST

वाशिंगटन: अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने घोषणा की है कि वह अगले सप्ताह भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सुनवाई करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच दो सफल द्विपक्षीय बैठकों के बाद यूएससीआईआरएफ ने घोषणा में कहा कि यह सुनवाई इस बात पर होगी कि अमेरिकी सरकार उल्लंघनों को समाधान निकालने के लिए भारत सरकार के साथ कैसे काम कर सकती है.

प्रधानमंत्री मोदी ने जून में अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा और सितंबर में नयी दिल्ली में बाइडन की यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठकें हुई थीं. यूएससीआईआरएफ एक सलाहकार और परामर्शदात्री निकाय है, जो अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों पर अमेरिकी कांग्रेस (संसद) और प्रशासन को सलाह देता है.

अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक फर्नांड डी वेरेन्स को कांग्रेस की लॉ लाइब्रेरी के विदेशी कानून विशेषज्ञ तारिक अहमद, ह्यूमन राइट्स वॉच की वाशिंगटन निदेशक सारा यागर, हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीति के हमद बिन खलीफा अल थानी प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन के साथ आयोग के समक्ष गवाही देने के लिए आमंत्रित किया गया है.

मोदी की वाशिंगटन डीसी की राजकीय यात्रा, अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाती है. यूएससीआईआरएफ ने कहा, 'पिछले दशक में भारत सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली भेदभावपूर्ण नीतियां बनाई और लागू की हैं, जिनमें धर्मांतरण विरोधी कानून, गोहत्या कानून, धर्म के आधार पर नागरिकता को प्राथमिकताएं देने वाले कानून और नागरिक संस्थाओं के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध शामिल हैं.'

निकाय ने कहा, 'हाल के रुझानों में जुलाई में हरियाणा में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा भड़कना और मणिपुर में ईसाई और यहूदी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले शामिल हैं, जो भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को कम करने के लिए नयी रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं.' यूएससीआईआरएफ 2020 से सिफारिश कर रहा है कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित, मौजूदा और गंभीर उल्लंघनों के लिए विशेष चिंता वाले देश (सीपीसी) के रूप में नामित करे.

ये भी पढ़ें- अमेरिकी आयोग ने धार्मिक स्वतंत्रता के 'उल्लंघन' को लेकर भारतीय एजेंसियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की

यूएससीआईआरएफ ने कहा, 'गवाह भारत सरकार के कानूनी ढांचे और भेदभावपूर्ण नीतियों के कार्यान्वयन पर चर्चा करेंगे, वर्तमान धार्मिक स्वतंत्रता स्थितियों की व्याख्या करेंगे और देश में धार्मिक स्वतंत्रता और संबंधित मानवाधिकारों के दुरुपयोग से निपटने के वास्ते भारत के साथ काम करने के लिए अमेरिका के समक्ष नीति विकल्प पेश करेंगे.'

(पीटीआई-भाषा)

वाशिंगटन: अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने घोषणा की है कि वह अगले सप्ताह भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सुनवाई करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच दो सफल द्विपक्षीय बैठकों के बाद यूएससीआईआरएफ ने घोषणा में कहा कि यह सुनवाई इस बात पर होगी कि अमेरिकी सरकार उल्लंघनों को समाधान निकालने के लिए भारत सरकार के साथ कैसे काम कर सकती है.

प्रधानमंत्री मोदी ने जून में अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा और सितंबर में नयी दिल्ली में बाइडन की यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठकें हुई थीं. यूएससीआईआरएफ एक सलाहकार और परामर्शदात्री निकाय है, जो अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों पर अमेरिकी कांग्रेस (संसद) और प्रशासन को सलाह देता है.

अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक फर्नांड डी वेरेन्स को कांग्रेस की लॉ लाइब्रेरी के विदेशी कानून विशेषज्ञ तारिक अहमद, ह्यूमन राइट्स वॉच की वाशिंगटन निदेशक सारा यागर, हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीति के हमद बिन खलीफा अल थानी प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन के साथ आयोग के समक्ष गवाही देने के लिए आमंत्रित किया गया है.

मोदी की वाशिंगटन डीसी की राजकीय यात्रा, अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाती है. यूएससीआईआरएफ ने कहा, 'पिछले दशक में भारत सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली भेदभावपूर्ण नीतियां बनाई और लागू की हैं, जिनमें धर्मांतरण विरोधी कानून, गोहत्या कानून, धर्म के आधार पर नागरिकता को प्राथमिकताएं देने वाले कानून और नागरिक संस्थाओं के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध शामिल हैं.'

निकाय ने कहा, 'हाल के रुझानों में जुलाई में हरियाणा में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा भड़कना और मणिपुर में ईसाई और यहूदी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले शामिल हैं, जो भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को कम करने के लिए नयी रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं.' यूएससीआईआरएफ 2020 से सिफारिश कर रहा है कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित, मौजूदा और गंभीर उल्लंघनों के लिए विशेष चिंता वाले देश (सीपीसी) के रूप में नामित करे.

ये भी पढ़ें- अमेरिकी आयोग ने धार्मिक स्वतंत्रता के 'उल्लंघन' को लेकर भारतीय एजेंसियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की

यूएससीआईआरएफ ने कहा, 'गवाह भारत सरकार के कानूनी ढांचे और भेदभावपूर्ण नीतियों के कार्यान्वयन पर चर्चा करेंगे, वर्तमान धार्मिक स्वतंत्रता स्थितियों की व्याख्या करेंगे और देश में धार्मिक स्वतंत्रता और संबंधित मानवाधिकारों के दुरुपयोग से निपटने के वास्ते भारत के साथ काम करने के लिए अमेरिका के समक्ष नीति विकल्प पेश करेंगे.'

(पीटीआई-भाषा)

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