दुबई: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के स्पष्टीकरण के विपरीत अमेरिका ने सोमवार को कहा कि उसने दिवंगत पत्रकार जमाल खशोगी के पूर्व वकील की गिरफ्तारी की मांग नहीं की थी. संयुक्त अरब अमीरात ने प्रत्यर्पण के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता और अमेरिकी नागरिक आसिम गफूर को शनिवार को धनशोधन एवं कर चोरी के आरोपों में तीन साल के कैद की सजा सुनाई थी. गफूर ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उन्हें अतीत के किसी कालखंड में गैर हाजिरी के दौरान इन आरोपों पर दोषी ठहराए जाने का बिल्कुल भान नहीं था.
गफूर बृहस्पतिवार को जब एक शादी में शामिल होने दुबई के रास्ते इंस्ताबुल जा रहे थे तभी पुलिस ने दुबई हवाई अड्डे पर उन्हें गिरफ्तार कर अबू धाबी हिरासत केंद्र ले गई थी. संयुक्त अरब अमीरात की एक अदालत ने सोमवार को जमानत पर रिहा करने की गफूर की दरख्वास्त खारिज कर दी. गफूर के वकील ने यह जानकारी दी और कहा कि उनके मुवक्किल अपनी दोषसिद्धि के विरूद्ध अपील करना चाहते हैं. संयुक्त अरब अमीरात ने गफूर की गिरफ्तारी को 'सीमापार अपराध का मुकाबला' करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर उठाया कदम बताया. उसने कहा कि अमेरिकी अधिकरियों ने गफूर के खिलाफ कथित कर चोरी एवं संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की जांच में उससे मदद का अनुरोध किया था.
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अमेरिका ने उसके इस बयान का प्रतिवाद किया. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि उसने गफूर की गिरफ्तारी की मांग नहीं की थी और इससे संबंधित अतिरिक्त सवाल न्याय विभाग से किए जाएं. वैसे न्याय विभाग ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है. गफूर वाशिंगटन स्थित 'डेमोक्रेसी फॉर अरब वर्ल्ड नाउ' मानवाधिकार संगठन से जुड़े हैं और असंतुष्ट लेखक एवं वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार खशोगी के घनिष्ठ मित्र रहे हैं. वर्ष 2018 में इंस्ताबुल में सऊदी एजेंटों ने खशोगी की कथित तौर पर हत्या कर दी थी. गफूर ने खशोगी का प्रतिनिधित्व किया है. अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि उसने गफूर की गिरफ्तारी का मामला 'संयुक्त अरब अमीरात के वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर' उठाया है और गफूर को वाणिज्यिक दूतावास सहयोग दिया है. उसने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को गफूर से भेंट की.
(पीटीआई-भाषा)