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थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ की कुर्सी पर लटक रही सुप्रीम तलवार - थाईलैंड के प्रधानमंत्री

थाईलैंड के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर प्रयुथ चान-ओचा (Prime Minister of Thailand Prayuth Chan-ocha) का समय पूरा होने के बाद भी वह कुर्सी से उतरने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में थाईलैंड की सर्वोच्च अदालत (Thailand Supreme Court) उन्हें इस्तीफा देने का आदेश दे सकती है.

थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा
थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा
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Published : Sep 30, 2022, 2:12 PM IST

बैंकॉक: थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा (Prime Minister of Thailand Prayuth Chan-ocha) को देश की सर्वोच्च अदालत (Thailand Supreme Court) शुक्रवार को इस्तीफा देने का आदेश सुना सकती है. वह पद पर रहने की वैध समयसीमा बीतने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ नहीं रहे हैं, जिसके कारण अदालत का यह आदेश आ सकता है. प्रयुथ के पक्ष में फैसला आने की भी संभावना है, लेकिन इससे उनकी सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू होने का जोखिम भी है, क्योंकि वह अलोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आए थे.

उनके विरोधियों ने अदालत के आदेश के मद्देनजर प्रदर्शन का आह्वान किया है. अदालत ने पिछले महीने प्रयुथ को प्रधानमंत्री का दायित्व निभाने से रोक दिया था. उप-प्रधानमंत्री प्रवित वोंगसुवन (Deputy Prime Minister Pravit Wongsuwan) को कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया गया, जबकि प्रयुथ रक्षा मंत्री के पद पर बने रहे. गौरतलब है कि विपक्षी सांसदों ने अदालत की नौ सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका दायर कर पूछा था कि प्रयुथ के कार्यकाल को कैसे गिना जाएगा.

पढ़ें: अफगानिस्तान: काबुल के एजुकेशनल सेंटर में बम धमाका, 20 लोगों की मौत और 35 घायल

तत्कालीन सेना जनरल प्रयुथ ने मई 2014 में एक निर्वाचित सरकार का सैन्य तख्तापलट कर दिया था और उसी साल अगस्त में उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी. उनके आलोचकों का कहना है कि उनके आठ साल के कार्यकाल की समयसीमा 24 अगस्त को समाप्त हो गयी है. वहीं, प्रयुथ के समर्थकों की दलील है कि कार्यकाल की समयसीमा से जुड़ा संविधान का प्रावधान 6 अप्रैल 2017 को लागू हुआ था, इसलिए उनके कार्यकाल की अवधि उस तारीख से गिनी जानी चाहिए.

बैंकॉक: थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा (Prime Minister of Thailand Prayuth Chan-ocha) को देश की सर्वोच्च अदालत (Thailand Supreme Court) शुक्रवार को इस्तीफा देने का आदेश सुना सकती है. वह पद पर रहने की वैध समयसीमा बीतने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ नहीं रहे हैं, जिसके कारण अदालत का यह आदेश आ सकता है. प्रयुथ के पक्ष में फैसला आने की भी संभावना है, लेकिन इससे उनकी सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू होने का जोखिम भी है, क्योंकि वह अलोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आए थे.

उनके विरोधियों ने अदालत के आदेश के मद्देनजर प्रदर्शन का आह्वान किया है. अदालत ने पिछले महीने प्रयुथ को प्रधानमंत्री का दायित्व निभाने से रोक दिया था. उप-प्रधानमंत्री प्रवित वोंगसुवन (Deputy Prime Minister Pravit Wongsuwan) को कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया गया, जबकि प्रयुथ रक्षा मंत्री के पद पर बने रहे. गौरतलब है कि विपक्षी सांसदों ने अदालत की नौ सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका दायर कर पूछा था कि प्रयुथ के कार्यकाल को कैसे गिना जाएगा.

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तत्कालीन सेना जनरल प्रयुथ ने मई 2014 में एक निर्वाचित सरकार का सैन्य तख्तापलट कर दिया था और उसी साल अगस्त में उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी. उनके आलोचकों का कहना है कि उनके आठ साल के कार्यकाल की समयसीमा 24 अगस्त को समाप्त हो गयी है. वहीं, प्रयुथ के समर्थकों की दलील है कि कार्यकाल की समयसीमा से जुड़ा संविधान का प्रावधान 6 अप्रैल 2017 को लागू हुआ था, इसलिए उनके कार्यकाल की अवधि उस तारीख से गिनी जानी चाहिए.

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