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इमरान के खिलाफ 'इंडिया कार्ड' खेल रहे हैं शरीफ - हामिद मीर इमरान शहबाज पाकिस्तान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर इंडिया कार्ड खेलने का आरोप लगाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि शरीफ इमरान खान को भारत में मिल रही सहानुभूति के आधार पर घेरना चाहते हैं.

Pakistan PM Shehbaz sharif
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ
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Published : May 24, 2023, 4:59 PM IST

इस्लामाबाद : प्रसिद्ध पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने एक लेख में लिखा है कि इस्लामाबाद के राजनीतिक परिदृश्य में इंडिया कार्ड वापस आ गया है. 'द न्यूज' में वह लिखते हैं, इमरान खान के राजनीतिक विरोधी उन्हें भारतीय मीडिया में मिल रही तारीफों की बात कर रहे हैं.

पत्रकार कहते हैं, इमरान खान पाकिस्तानी सरकारी संस्थानों के लिए नए एजेंट हैं. इससे पहले मुहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को अयूब खान द्वारा भारतीय एजेंट घोषित किया गया था, शेख मुजीबुर रहमान को जनरल याहया खान द्वारा भारतीय एजेंट घोषित किया गया था, बेनजीर भुट्टो को भारतीय एजेंट बताया गया था. जनरल मुशर्रफ के समर्थकों द्वारा जनरल जिया और नवाज शरीफ को भारतीय एजेंट घोषित किया गया था. इस नए प्रचार युद्ध ने कई पीटीआई नेताओं को परेशान कर दिया है, और उनमें से कुछ राजनीति छोड़ रहे हैं तो कुछ पीटीआई.

मीर ने कहा कि खान को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तरह राजनीति से अयोग्य ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा, याद रखें कि इंडिया कार्ड का इस्तेमाल नवाज शरीफ के खिलाफ जहरीला तरीके से किया गया था. मीर कहते हैं, अब शरीफ खान के खिलाफ इंडिया कार्ड खेल रहे हैं. शरीफ 9 मई को इमरान खान के लिए 9/11 में बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर नवाज शरीफ वापसी कर सकते हैं तो खान भी कुछ सालों बाद ऐसा कर सकते हैं. इस समय वह कमजोर हैं, लेकिन टूटे नहीं हैं.

मीर कहते हैं, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, इमरान को इन दिनों पाकिस्तान में किसी भी दूसरे राजनेता की तुलना में अधिक जन समर्थन मिल रहा है. लेकिन दुर्भाग्य से वह अपनी राजनीतिक भूलों की कीमत चुका रहे हैं. उन्होंने कभी भी अपनी पार्टी को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर संगठित नहीं किया. उन्होंने कभी भी अपनी सरकार को प्रधानमंत्री की तरह नहीं चलाया. वह एक राजा की तरह अपनी सरकार चला रहे थे.

मीर लिखते हैं, वह भूल गए कि उन्हें पीएम कार्यालय में सेना द्वारा स्थापित किया गया था. उन्होंने सेना के स्थानांतरण और पोस्टिंग में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया और अपने असली आकाओं को नाराज कर दिया. उन्होंने नेशनल असेंबली को भंग करके अपने खिलाफ अविश्वास को हराने की कोशिश की. सुप्रीम कोर्ट ने संसद बहाल की. फिर उन्होंने एक अमेरिकी साजिश का कार्ड खेला. यह असफल हो गया. फिर उन्होंने नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे दिया. इसका भी उल्टा असर हुआ. फिर उन्होंने पिछले साल मई और 26 नवंबर को जनता के समर्थन से इस्लामाबाद पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन भारी भीड़ जुटाने में नाकाम रहे. फिर पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा की प्रांतीय विधानसभाओं को भंग कर दिया. उन्होंने सोचा था कि वह सरकार को जल्दी चुनाव कराने के लिए मजबूर कर सकते हैं लेकिन वह फिर से विफल रहे.

ये भी पढे़ं : Pakistan Crisis: इमरान खान की पार्टी पीटीआई पर लग सकता है प्रतिबंध, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दी जानकारी

(आईएएनएस)

इस्लामाबाद : प्रसिद्ध पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने एक लेख में लिखा है कि इस्लामाबाद के राजनीतिक परिदृश्य में इंडिया कार्ड वापस आ गया है. 'द न्यूज' में वह लिखते हैं, इमरान खान के राजनीतिक विरोधी उन्हें भारतीय मीडिया में मिल रही तारीफों की बात कर रहे हैं.

पत्रकार कहते हैं, इमरान खान पाकिस्तानी सरकारी संस्थानों के लिए नए एजेंट हैं. इससे पहले मुहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को अयूब खान द्वारा भारतीय एजेंट घोषित किया गया था, शेख मुजीबुर रहमान को जनरल याहया खान द्वारा भारतीय एजेंट घोषित किया गया था, बेनजीर भुट्टो को भारतीय एजेंट बताया गया था. जनरल मुशर्रफ के समर्थकों द्वारा जनरल जिया और नवाज शरीफ को भारतीय एजेंट घोषित किया गया था. इस नए प्रचार युद्ध ने कई पीटीआई नेताओं को परेशान कर दिया है, और उनमें से कुछ राजनीति छोड़ रहे हैं तो कुछ पीटीआई.

मीर ने कहा कि खान को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तरह राजनीति से अयोग्य ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा, याद रखें कि इंडिया कार्ड का इस्तेमाल नवाज शरीफ के खिलाफ जहरीला तरीके से किया गया था. मीर कहते हैं, अब शरीफ खान के खिलाफ इंडिया कार्ड खेल रहे हैं. शरीफ 9 मई को इमरान खान के लिए 9/11 में बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर नवाज शरीफ वापसी कर सकते हैं तो खान भी कुछ सालों बाद ऐसा कर सकते हैं. इस समय वह कमजोर हैं, लेकिन टूटे नहीं हैं.

मीर कहते हैं, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, इमरान को इन दिनों पाकिस्तान में किसी भी दूसरे राजनेता की तुलना में अधिक जन समर्थन मिल रहा है. लेकिन दुर्भाग्य से वह अपनी राजनीतिक भूलों की कीमत चुका रहे हैं. उन्होंने कभी भी अपनी पार्टी को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर संगठित नहीं किया. उन्होंने कभी भी अपनी सरकार को प्रधानमंत्री की तरह नहीं चलाया. वह एक राजा की तरह अपनी सरकार चला रहे थे.

मीर लिखते हैं, वह भूल गए कि उन्हें पीएम कार्यालय में सेना द्वारा स्थापित किया गया था. उन्होंने सेना के स्थानांतरण और पोस्टिंग में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया और अपने असली आकाओं को नाराज कर दिया. उन्होंने नेशनल असेंबली को भंग करके अपने खिलाफ अविश्वास को हराने की कोशिश की. सुप्रीम कोर्ट ने संसद बहाल की. फिर उन्होंने एक अमेरिकी साजिश का कार्ड खेला. यह असफल हो गया. फिर उन्होंने नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे दिया. इसका भी उल्टा असर हुआ. फिर उन्होंने पिछले साल मई और 26 नवंबर को जनता के समर्थन से इस्लामाबाद पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन भारी भीड़ जुटाने में नाकाम रहे. फिर पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा की प्रांतीय विधानसभाओं को भंग कर दिया. उन्होंने सोचा था कि वह सरकार को जल्दी चुनाव कराने के लिए मजबूर कर सकते हैं लेकिन वह फिर से विफल रहे.

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(आईएएनएस)

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