लाहौर: पाकिस्तानी अधिकारियों ने शुक्रवार को पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय के 67 साल पुराने पूजा स्थल की मीनारों को ध्वस्त कर दिया. इस बात की जानकारी जमात-ए-अहमदिया के एक अधिकारी ने दी. उन्होंने कहा कि लाहौर से लगभग 130 किमी दूर फैसलाबाद के समुंद्री में पुलिसकर्मियों को अहमदी पूजा स्थल की मीनारों को ध्वस्त करते देखा गया.
अहमदी खुद को मुस्लिम मानते हैं. पाकिस्तान की संसद ने 1974 में इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था. इसके एक दशक बाद उन पर न सिर्फ खुद को मुस्लिम कहने से बैन लगा दिया गया, बल्कि इस्लाम के नियमों का पालन करने से भी रोक दिया गया.
हालांकि अहमदिया समुदाय को लेकर लाहौर हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि 1984 में जारी एक विशेष अध्यादेश से पहले बनाए गए पूजा स्थल वैध हैं. इसलिए उनमें न तो कोई बदलाव किया जा जाना चाहिए और न ही उन्हें गिराया जाना चाहिए. जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि शुक्रवार को पुलिस मीनारों को गिराने के बाद मलबा भी अपने साथ ले गई.
अकेले इस साल 42 वीं बार अहमदी पूजा स्थलों का अपवित्र किया गया है. इनमें से ज्यादातर पंजाब में हुईं. अधिकांश अहमदी पूजा स्थलों पर तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने हमला किया है, जबकि दूसरी घटनाओं में पुलिस ने धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में मीनारों और मेहराबों को ध्वस्त कर दिया और पवित्र लेखों को मिटा दिया.
टीएलपी का कहना है कि अहमदी पूजा स्थल मुस्लिम मस्जिदों के समान हैं क्योंकि उनमें मीनारें हैं. जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि देश में पहले से ही हाशिए पर मौजूद अहमदियों के लिए हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं. अहमदियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.