इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि देश में भीषण बाढ़ से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो प्रतिशत से अधिक की कमी आ सकती है. उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन के साथ फोन पर वार्ता में कहा कि सरकार देश में आसन्न खाद्य संकट को रोकने की तात्कालिक चुनौती से जूझ रही है.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, शरीफ ने पाकिस्तान को मानवीय राहत सहायता प्रदान करने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया और कहा कि बाढ़ ने देश में लाखों एकड़ खड़ी फसल, घर और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया है. उन्होंने कहा कि शुरुआती अनुमान के अनुसार, देश में भीषण बाढ़ से पाकिस्तान की जीडीपी में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ सकती है.
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I have never seen climate carnage on the scale of the floods here in Pakistan.
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As our planet continues to warm, all countries will increasingly suffer losses and damage from climate beyond their capacity to adapt.
This is a global crisis. It demands a global response. pic.twitter.com/5nqcJIMoIA
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As our planet continues to warm, all countries will increasingly suffer losses and damage from climate beyond their capacity to adapt.
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बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री लेकर पाकिस्तान पहुंचे अमेरिकी विमान - बाढ़ से प्रभावित पाकिस्तानियों के लिए कई टन राहत सामग्री लेकर दो और अमेरिकी सैन्य विमान दक्षिणी सिंध प्रांत में उतरे. पाकिस्तान का यह प्रांत बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के प्रवक्ता सैफ उल्लाह ने कहा कि प्रत्येक विमान में लगभग 35 टन राहत सहायता थी, जिसे विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा प्रांत में वितरित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विमान सिंध के सुक्कुर हवाई अड्डे पर उतरा. अमेरिकी अभियान 16 सितंबर तक जारी रहेगा.
पाकिस्तान को इस साल जून के मध्य में शुरू हुई अत्यधिक भारी मॉनसूनी बारिश का सामना करना पड़ा है. कई अधिकारियों और विशेषज्ञों ने बारिश और इसके चलते आयी बाढ़ के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को भारी मात्रा में सहायता भेजने का आह्वान किया था. उल्लाह ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात से राहत सामग्री लाने वाली दो और उड़ानें कराची हवाई अड्डे पर उतरीं.
अब तक, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और कई देशों ने सहायता सामग्री वाले विमान भेजे हैं. देश में भीषण बाढ़ से जून के मध्य से अब तक करीब 1,400 लोगों की मौत हो चुकी है और 13,000 घायल हुए हैं और लाखों लोग बेघर हो गए हैं. बाढ़ के पानी ने सड़क और संचार बुनियादी ढांचे को भी नष्ट कर दिया.
पाकिस्तान में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए हिंदू मंदिर ने खोले दरवाजे - पाकिस्तान में बाढ़ में फंसे और विस्थापित लाखों लोगों को मदद का बेसब्री से इंतजार है, ऐसे में बलूचिस्तान के एक छोटे से गांव में एक हिंदू मंदिर ने लगभग 200 से 300 बाढ़ पीड़ितों को भोजन और आश्रय प्रदान करके इंसानियत और नेकदिली का परिचय दिया है. कच्छी जिले के जलाल खान गांव में ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बाबा माधोदास मंदिर बाढ़ के पानी से अपेक्षाकृत बचा हुआ है. ऐसे में यह मुश्किल समय में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए एक पनाहगाह बन गया है.
नारी, बोलन, और लहरी नदियों में बाढ़ के कारण यह गांव प्रांत के बाकी हिस्से से कट गया है, जिसके कारण दूरदराज के इलाके के निवासी बाढ़ के बीच फंसे हुए हैं. ‘डॉन’ अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय हिंदू समुदाय ने बाढ़ प्रभावित लोगों और उनके मवेशियों के लिए बाबा माधोदास मंदिर के दरवाजे खोल दिए. स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा माधोदास विभाजन से पहले के हिंदू संत थे, जिनका क्षेत्र के मुसलमानों और हिंदुओं के बीच काफी सम्मान था.
भाग नारी तहसील से अकसर गांव में आने वाले अल्ताफ बुजदार कहते हैं, 'वह ऊंट पर यात्रा करते थे.' बुजदार कहते हैं कि उनके माता-पिता द्वारा सुनाई गई कहानियों के अनुसार, लोग संत का अपनी धार्मिक सीमाओं से परे जाकर सम्मान करते थे. उन्होंने अपने माता-पिता की बात का हवाला देते हुए कहा, 'वह लोगों को उनकी जाति और पंथ के बजाय मानवता की नजर से देखते थे.' भाग नारी तहसील के एक दुकानदार 55 वर्षीय रतन कुमार वर्तमान में मंदिर के प्रभारी हैं.
रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है, 'मंदिर में सौ से अधिक कमरे हैं क्योंकि हर साल बलूचिस्तान और सिंध से बड़ी संख्या में लोग तीर्थयात्रा के लिए यहां आते हैं.' रतन के बेटे सावन कुमार ने कहा कि बाढ़ से कुछ कमरे क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन कुल मिलाकर ढांचा सुरक्षित रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 200-300 लोगों, ज्यादातर मुस्लिम और उनके पशुओं को परिसर में शरण दी गई और हिंदू परिवारों द्वारा उनकी देखभाल की गई.
प्रारंभ में, क्षेत्र शेष जिले से पूरी तरह से कट गया था. विस्थापितों ने कहा कि उन्हें हेलीकॉप्टर से राशन उपलब्ध कराया गया था, लेकिन जब वे मंदिर के अंदर चले गए, तो उन्हें हिंदू समुदाय द्वारा भोजन खिलाया जा रहा है.' जलाल खान के एक डॉक्टर इसरार मुघेरी जिन्होंने मंदिर के अंदर एक चिकित्सा शिविर स्थापित किया है, ने बताया, 'स्थानीय लोगों के अलावा, हिंदुओं ने अन्य जानवरों के साथ-साथ बकरियों और भेड़ों को भी रखा है.' वह बताते हैं, 'स्थानीय हिंदुओं द्वारा लाउडस्पीकर पर घोषणाएं की गईं, मुसलमानों को शरण लेने के लिए मंदिर में आने को कहा गया.'
वहां शरण लेने वालों का कहना है कि इस मुश्किल घड़ी में उनकी सहायता के लिए आने और उन्हें भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए वे स्थानीय समुदाय के ऋणी हैं.