इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने नकदी की कमी वाले देश को 'आर्थिक रूप से गुलाम' बनाया हुआ है और अर्थव्यवस्था वैश्विक संस्थान पर निर्भर है. पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, आईएमएफ से कर्ज मिलने में देरी और रुपये के अवमूल्यन का अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. उसने संकट से बाहर आने के लिए मुद्राकोष से आपातकालीन आधार पर वित्तीय सहायता मांगी है.
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर शहर में बाढ़ प्रभावित इलाके के दौरे के दौरान एक सवाल के जवाब में शरीफ ने कहा, 'हमने अपनी आजादी के बाद से पिछले 75 वर्षों में क्या किया है? आईएमएफ ने हमें आर्थिक रूप से गुलाम बना दिया है.' एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकार देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए चुनौतीपूर्ण फैसले ले रही है. सरकार को कई मोर्चों पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
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पाकिस्तान ने पिछले महीने आईएमएफ के साथ कर्मचारी स्तर पर समझौता किया. उसके बाद सरकार ने ईंधन और बिजली सब्सिडी को समाप्त करने के साथ कर दायरा बढ़ाने के उपाय किए हैं. पाकिस्तान जल्द-से-जल्द प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद कर रहा है लेकिन मुद्राकोष ने अबतक कोष की किस्त जारी नहीं की है. शरीफ ने बार-बार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने लोगों के बीच लोकप्रियता बनाए रखने के लिए जानबूझकर आईएमएफ की शर्तों का उल्लंघन किया था.
(पीटीआई-भाषा)