कराची : आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रहे पाकिस्तान में महंगाई आसमान छू रही है. दुकानदारों ने कराची में दूध की कीमत पाकिस्तान के 190 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 210 रुपये प्रति लीटर कर दी है. खुला दूध जिसे कुछ दुकानदारों ने पाक के 190 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 210 रुपये कर दिया है और ब्रायलर चिकन जिसमें पिछले दो दिनों में 30-40 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी देखी गई है (Crisis Continues In Pak).
आईएएनएस ने डॉन का हवाला देते हुए खबर दी है कि इस महीने पहले जिंदा चिकन 390-440 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध था, जबकि जनवरी, 2023 के अंतिम सप्ताह में इसे 380-420 रुपये किलोग्राम के बीच बेचा जा रहा था.
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, मुर्गे का मांस अब 700-780 रुपये किलो बिक रहा है, जो कुछ दिन पहले 620-650 रुपये प्रति किलो था. हड्डी रहित मांस की कीमत इसी अवधि में 150-200 रुपये प्रति किलोग्राम की छलांग दिखाते हुए 1,000-1,100 रुपये प्रति किलोग्राम के नए शिखर पर पहुंच गई है. बोनलेस पोल्ट्री मीट का रेट बोनलेस वील की कीमत को पार कर गया है, जो वर्तमान में 900-1,000 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि हड्डियों वाला मांस 800-850 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.
कराची मिल्क रिटेलर्स एसोसिएशन के मीडिया समन्वयक वहीद गद्दी ने दावा किया कि '1,000 से अधिक दुकानदार दूध बढ़ा-चढ़ाकर बेच रहे हैं. ये वास्तव में थोक विक्रेताओं/डेयरी किसानों की दुकानें हैं और हमारे सदस्यों की नहीं.'
उन्होंने कहा 'हमारे 4,000 खुदरा सदस्यों ने कीमत को 190 रुपये प्रति लीटर पर अपरिवर्तित रखा है.' उन्होंने कहा कि यदि डेयरी किसानों और थोक विक्रेताओं द्वारा घोषित मूल्य वृद्धि वापस नहीं की जाती है, तो खुदरा विक्रेताओं को खरीद मूल्य में 27 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद नई दर गणना के अनुसार उपभोक्ताओं से 210 रुपये प्रति लीटर के बजाय 220 रुपये प्रति लीटर शुल्क लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
31 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पाकिस्तान का भुगतान : उधर, सरकार द्वारा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये को स्थिर करने के लिए लगाए गए डॉलर कैप के कारण विदेशी पाकिस्तानी कामगारों द्वारा घर भेजे जाने वाली रकम दो साल के निचले स्तर पर आ गई, इससे पहले हुंडी, हवाला और अन्य चैनलों के माध्यम से अवैध हस्तांतरण को बढ़ावा मिला.
जियो न्यूज ने बताया कि, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी 2023 में रेमिटेंस गिरकर 1.9 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि दिसंबर 2022 में यह 2.1 बिलियन डॉलर और जनवरी 2022 में 2.18 बिलियन डॉलर था। मई 2020 में रेमिटेंस 1.865 बिलियन डॉलर था.
(आईएएनएस)