काठमांडू : नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दल नई सरकार के गठन को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने में विफल रहे, क्योंकि सत्ता में साझेदारी के लिए समझौता करने के उद्देश्य से पांच दलों के गठबंधन की बैठक राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित समयसीमा से एक दिन पहले शनिवार को यहां बेनतीजा रही. राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को नेपाल के सभी राजनीतिक दलों को सात दिन के भीतर नयी सरकार बनाने का अल्टीमेटम दिया था. प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने गठबंधन सहयोगी पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के साथ सत्ता-साझा करने के समझौते पर चर्चा की थी.
20 नवंबर को हुए चुनाव में क्योंकि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, इसलिए राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के किसी सदस्य से संविधान के अनुच्छेद 76 के नियम 2 के तहत सरकार के गठन का दावा करने को कहा है जो दो या अधिक दलों के समर्थन से बहुमत जुटा सके. राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, दावा प्रस्तुत करने की समयसीमा 25 दिसंबर को शाम पांच बजे तक है. 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक 138 सीट नहीं हैं. अंतर-दल परामर्श और सत्ता साझा करने को लेकर अब तक हुई चर्चा विफल रही है.
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नयी सरकार के गठन और सत्ता में साझेदारी के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेता शनिवार शाम बालुवातार में प्रधानमंत्री देउबा के आवास पर एकत्र हुए. वरिष्ठ माओवादी नेता गणेश शाह ने कहा कि सत्ता साझा करने को लेकर पांच दलों के गठबंधन की बैठक के बेनतीजा रहने के बाद प्रधानमंत्री देउबा और प्रचंड सरकार गठन के लिए कोई समाधान निकालने के वास्ते रविवार को फिर से बैठने पर सहमत हुए. देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस (एनसी) 89 सीट के साथ चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है.
इसके बाद विपक्षी सीपीएन-यूएमएल को 78 सीट और प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंटर ने 32 सीट हासिल की हैं. नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) को 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को 14, जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को 12 और जनमत पार्टी को छह सीट मिली हैं.
(पीटीआई-भाषा)