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श्रीलंका उच्चतम कोर्ट ने मानवाधिकार उल्लंघन मामले में गोटाबाया राजपक्षे को तलब करने के दिए आदेश - Lanka SC

श्रीलंका (Sri Lanka) के उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने बुधवार को अधिकारियों को निर्देश दिए कि अपदस्थ राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Deposed President Gotabaya Rajapakse) को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी करे. दरअसल अदालत ने 2011 में दो कार्यकर्ताओं के लापता होने के मामले में ये निर्देश दिए हैं.

गोटाबाया राजपक्षे
गोटाबाया राजपक्षे
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Published : Oct 19, 2022, 7:30 PM IST

कोलंबो: श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने 2011 में दो कार्यकर्ताओं के लापता होने के मामले में बुधवार को अधिकारियों को अपदस्थ राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी करने का निर्देश दिया. गोटाबाया को अब संवैधानिक छूट से वंचित कर दिया गया है. 73 वर्षीय राजपक्षे को अब जाफना के उत्तरी जिले में दो आधिकारिक कार्यकर्ता ललित वीरराज और कुगन मुरुगनाथन के लापता होने पर दर्ज मामले में सबूत देना होगा.

श्रीलंका में लंबे समय तक चले गृहयुद्ध की 12 साल पहले समाप्ति के तुरंत बाद यह दोनों कार्यकर्ता लापता हो गए थे. उस समय गोटाबाया राजपक्षे अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण अधिकारी थे. उस समय, गोटाबाया राजपक्षे पर अपहरण दस्ते की देखरेख करने का आरोप लगाया गया था, जो विद्रोही संदिग्धों, महत्वपूर्ण पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को अगवा करते थे, उनमें से कई लोगों को फिर कभी नहीं देखा गया था.

पढ़ें: आतंकवाद पर चीन फिर हुआ बेनकाब, भारत और अमेरिका के प्रयासों में लगाया अडंगा

गोटाबाया पहले किसी भी तरह की गड़बड़ी करने से इनकार कर चुके हैं. जब गोटाबाया को 2018 में अदालत में पेश होने के लिए बुलाया गया था, तो उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया था कि अगर उन्हें अदालत में पेश होने के लिए जाफना जाना पड़ा तो उनकी जान को खतरा होगा.

(पीटीआई-भाषा)

कोलंबो: श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने 2011 में दो कार्यकर्ताओं के लापता होने के मामले में बुधवार को अधिकारियों को अपदस्थ राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी करने का निर्देश दिया. गोटाबाया को अब संवैधानिक छूट से वंचित कर दिया गया है. 73 वर्षीय राजपक्षे को अब जाफना के उत्तरी जिले में दो आधिकारिक कार्यकर्ता ललित वीरराज और कुगन मुरुगनाथन के लापता होने पर दर्ज मामले में सबूत देना होगा.

श्रीलंका में लंबे समय तक चले गृहयुद्ध की 12 साल पहले समाप्ति के तुरंत बाद यह दोनों कार्यकर्ता लापता हो गए थे. उस समय गोटाबाया राजपक्षे अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण अधिकारी थे. उस समय, गोटाबाया राजपक्षे पर अपहरण दस्ते की देखरेख करने का आरोप लगाया गया था, जो विद्रोही संदिग्धों, महत्वपूर्ण पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को अगवा करते थे, उनमें से कई लोगों को फिर कभी नहीं देखा गया था.

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गोटाबाया पहले किसी भी तरह की गड़बड़ी करने से इनकार कर चुके हैं. जब गोटाबाया को 2018 में अदालत में पेश होने के लिए बुलाया गया था, तो उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया था कि अगर उन्हें अदालत में पेश होने के लिए जाफना जाना पड़ा तो उनकी जान को खतरा होगा.

(पीटीआई-भाषा)

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