वाशिंगटन: अमेरिका के कैलिफोर्निया में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने के वास्ते एक विधेयक पेश करने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी की सीनेटर के खिलाफ भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों ने शांतिपूर्ण रैली की. स्टेट सीनेटर आइशा वहाब ने 22 मार्च का यह विधेयक पेश किया था. विधेयक पारित होने पर अमेरिका का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य कैलिफोर्निया जाति-आधारित पूर्वाग्रह को खत्म करने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है.
वहाब राज्य के सदन के लिए चुनी गई पहली मुस्लिम एवं अफगानिस्तानी अमेरिकी हैं. 'कोलेशन ऑफ हिंदूस ऑफ नॉर्थ अमेरिका' (सीओएचएनए) ने एक शांतिपूर्ण रैली का आयोजन किया. इसमें शामिल हुए लोगों ने कहा कि सीनेटर वहाब द्वारा पेश किया गया कानून हर जाति, धर्म और वंश के लोगों के लिए समानता और न्याय के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है. फ्रेमोंट शहर के निवासी एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कार्यरत हर्ष सिंह ने कहा कि यह विधेयक हिंदुओं और एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ पूर्वाग्रह उत्पन्न करता है, जो नफरत को बढ़ाएगा और उनके बच्चों को निशाने पर लाएगा.
कानून के खिलाफ पोस्टर और बैनर प्रदर्शित करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने कैलिफोर्निया में सदन के सदस्यों से अपील की कि वे हिंदुओं को अलग-थलग न करें या यह न मान लें कि वे केवल अपने जन्म के कारण दमनकारी कृत्यों के दोषी हैं. इन लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से सीनेटर वहाब के कार्यालय के सामने रैली निकाली और कहा कि कानून एसबी-403 कैलिफोर्निया में 'जाति' को एक संरक्षित श्रेणी के रूप में जोड़ने का प्रस्ताव करता है.
उन्होंने कहा कि यह अप्रमाणित और पक्षपाती आंकड़ों पर आधारित है जो दक्षिण एशियाई लोगों के साथ-साथ जापानी, अफ्रीकी तथा दक्षिण अमेरिकी समुदायों के अश्वेत लोगों को लक्षित करता है. सीओएचएनए के अनुसार, 'अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यह दक्षिण एशियाई और अन्य अश्वेत लोगों के नागरिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और उन्हें समान सुरक्षा तथा उचित प्रक्रिया से वंचित करेगा.'
गौरतलब है कि ऐसा ही एक कानून सिएटल में भी लागू किया गया है और वह जाति आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने वाला अमेरिका का पहला शहर है.
पीटीआई-भाषा