न्यूयॉर्क : अमेरिकी की एक राज्य अपील अदालत के न्यायाधीश ने गुरुवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक मामले में दो अक्टूबर से होने वाली सुनवाई पर रोक लगा दी है. मामले में ट्रंप के वकीलों ने ट्रायल जज आर्थर एंगोरोन पर बार-बार अपने अधिकार का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
डोनाल्ड ट्रंप के वकील इस त्वरीत कार्यवाही से ट्रंप और और उनकी कंपनी के खिलाफ चल रहे एक मुकदमे की सुनवाई को बाधित करने का मौका तलाश रहे हैं. फिलहाल इसमें उन्हें सफलता मिलती भी दिख रही है. राज्य अपील अदालत ने ट्रायल जज की अदालत में दो अक्टूबर को होने वाली सुनवाई पर रोक लगा दी है. राज्य की मध्यवर्ती अपीलीय अदालत के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डेविड फ्रीडमैन ने मुकदमे पर अंतरिम रोक लगा दी.
फ्रीडमैन ने पूर्ण अपीलीय अदालत को शीघ्र आधार पर मुकदमे पर विचार करने का आदेश दिया है. अदालत ने संकेत दिया कि वह 25 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में अपना फैसला सुनायेगी. जिसका अर्थ है कि यदि फैसला ट्रंप के पक्ष में नहीं आया तो अभी भी दो अक्टूर को ट्रायल जज की अदलात में सुनवाई को सकती है.
क्या है ट्रायल जज से ट्रंप का विवाद : ट्रंप के वकीलों ने ट्रायल जज आर्थर एंगोरोन पर आरोप लगाया कि उन्होंने ट्रंप के इस अनुरोध को की मुकदमे की सुनवाई तीन सप्ताह की देरी से की जाये को बिना सुने ही खारिज कर दिया. ट्रायल जज ने सुनवाई में देरी के ट्रंप के आवेदन को सुनवाई के योग्य नहीं माना था. मामले की सुनवाई करते हुए मध्यवर्ती अपीलीय अदालत के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डेविड फ्रीडमैन ने कहा कि ट्रंप और ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन के खिलाफ अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स के मुकदमे में अन्य कार्यवाही निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ेंगी.
अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने कहा हम मुकदमे के लिए तैयार : इस मामले में जब एपी ने एंगोरोन से संपर्क करने की कोशिश की तो उनकी अदालत के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इस मामले में अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने एक बयान में कहा कि हम अपने मामले में आश्वस्त हैं. हम मुकदमे के लिए तैयार रहेंगे.
क्या है New York Fraud Trial : अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स की ओर से दायर मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि ट्रंप ने वार्षिक वित्तीय विवरणों के साथ बैंकों, बीमाकर्ताओं और अन्य लोगों को धोखा दिया. उन्होंने अपनी अचल संपत्तियों, गोल्फ कोर्स और अन्य संपत्तियों का मूल्य बढ़ा कर बताया. जिससे उनके निवेशक घोखे में रहे. आरोप के मुताबिक इस घोखेबाजी के कारण ट्रंप की कुल संपत्ति 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गई.
केस सही साबित हुआ तो क्या हो सकती है सजा : अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स अदालत से ट्रंप के ऊपर 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर के जुर्माने और ट्रंप के न्यूयॉर्क में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. बता दें कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले साल होने वाले चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार होने की रेस में सबसे आगे हैं.
इस मामले में ट्रंप ने क्या सफाई दी : अप्रैल में मुकदमे के लिए दी गई शपथपूर्ण गवाही में, ट्रंप ने कहा कि उन्हें नहीं लगता था कि उनके वित्तीय विवरणों को गंभीरता से लिया जाएगा. उन्होंने डेमोक्रेट जेम्स से कहा कि आपके पास कोई सबूत नहीं है और आपको यह केस छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा था कि क्या आप जानते हैं कि बैंकों को पूरा भुगतान कर दिया गया था? क्या आप जानते हैं कि बैंकों ने बहुत पैसा कमाया? ट्रंप ने अपनी गवाही में कहा था कि क्या आप जानते हैं कि मुझे विश्वास नहीं होता कि मुझे कभी डिफॉल्ट नोटिस भी मिला है. उन्होंने कहा कि यहां तक कि कोविड के दौरान भी बैंकों को भुगतान किया गया था? और फिर भी, मुझे लगता है, आप बैंकों की ओर से मुकदमा कर रहे हैं. यह पागलपन है. पूरा केस ही पागलपन भरा है.
क्या जजों के खिलाफ बयान देना और उनपर आरोप लगाना ट्रंप की आदत है : एपी की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने खिलाफ मुकदमों की सुनवाई करने वाले जजों पर हमला करने के आदी रहे हैं. एंगोरोन के खिलाफ मुकदमा उसी कड़ी में एक ताजा उदाहण है. ट्रंप ने राज्य कानून के एक प्रावधान धारा 78 के तहत यह मुकदमा दायर किया है.
इससे पहले सोमवार को, ट्रंप के वकीलों ने वाशिंगटन में एक अन्य न्यायाधीश को मुकदमे से अगल होने के लिए कह रहे थे. यह न्यायाधीश ट्रंप के ऊपर चुनाव में गड़बड़ी करने के लिए दर्ज मुकदमे की सुनवाई करने वाले हैं. ट्रंप के वकीलों ने आरोप लगाया था कि अमेरिकी जिला न्यायाधीश तान्या चुटकन ट्रंप के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और वह निष्पक्षता से इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती है.
इससे भी पहले, ट्रंप ने अपने मैनहट्टन हश-मनी आपराधिक मामले में भी न्यायाधीश को हटाने की मांग की थी. वहां ट्रंप के वकीलों ने तर्क दिया था कि न्यायाधीश जुआन मैनुअल मर्चैन पक्षपाती हैं क्योंकि उन्होंने डेमोक्रेट्स को पैसा दिया है और उनकी बेटी एक पार्टी सलाहकार है. हालांकि, न्यायाधीश मर्चैन ने पिछले महीने ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह वह निष्पक्ष होने की अपनी क्षमता के बारे में आश्वस्त हैं और खुद को मुकदमे से अलग नहीं करेंगे.
ट्रायल जज आर्थर एंगोरोन और ट्रंप के बीच तकरार नई नहीं : एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल जज आर्थर एंगोरोन और ट्रंप के बीच यह शत्रुता नई नहीं है. ट्रायल जज आर्थर एंगोरोन ने पहले भी कुछ मामलों में ट्रंप के खिलाफ फैसले सुनाये हैं. जिसके बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर एंगोरोन को दुष्ट, पक्षपाती और मतलबी कहा था. ट्रंप के खिलाफ गये कई मामलों में एक अवमानना का केस भी शामिल है जिसमें जेम्स को सबूत न सौंपने के लिए ट्रंप को 110,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा था. ट्रंप के वकीलों ने पिछले साल जेम्स के मुकदमे को एंगोरोन की अदालत से अदालत के वाणिज्यिक डिवीजन में स्थानांतरित करने की असफल लड़ाई लड़ी थी. बता दें कि अदलात का वाणिज्यिक डिवीजन खास तौर से कॉर्पोरेट केसों की सुनवाई करता है.
राहत नहीं मिली तो तीन महीने तक चल सकता है मुकदमा : एपी के रिपोर्ट के मुताबिक एंगोरोन ने कहा है कि मुकदमे में तीन महीने तक का समय लग सकता है. ट्रंप के वकीलों ने एंगोरोन से मुकदमा शुरू होने से पहले मामले को पूरी तरह से खारिज करते हुए सारांश निर्णय देने की मांग की थी. ट्रंप के वकीलों का कहना था कि मुकदमे के कई आरोप इस अदालत के सीमाओं में नहीं आते हैं. वकीलों का कहना था कि जेम्स के पास मुकदमा करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि ट्रंप ने जिन संस्थाओं के साथ कथित तौर पर धोखाधड़ी की है, उन्होंने कभी शिकायत नहीं की. ट्रंप के वकीलों का दावा था कि इसके उलट उन संस्थाओं को ट्रंप के साथ व्यापारिक सौदों से लाभ ही हुआ है.
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बहस की पेचिदगियां, वकीलों के दावे : जेम्स के कार्यालय ने एंगोरॉन से उसके मुकदमे में सात दावों में से एक पर उसके पक्ष में सारांश निर्णय देने के लिए कहा है. वह एक दावा है कि ट्रंप और उनकी कंपनी ने धोखाधड़ी की है. जेम्स की ओर अदालत को कहा गया है कि फैसला सुनाने के लिए सिर्फ दो ही सवालों के जवाब पर्याप्त होंगे पहला कि क्या ट्रंप के वार्षिक वित्तीय विवरण झूठे या भ्रामक थे. दूसरा कि क्या उन्होंने और ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने व्यापारिक लेनदेन करते समय उन झूठे विवरणों का इस्तेमाल किया है. अगर दो अक्टूबर को मामले की सुनवाई होती है तो ट्रंप के अदालत में गवाही देने की उम्मीद नहीं है. हालांकि उनकी गवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग चलाई जा सकती है.