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Pakistan In UNHRC : यूएनएचआरसी में बार-बार उठ रहे हैं पाकिस्तान के सिंध में मानवाधिकार की स्थिति से जुड़े सवाल - Sindh province of Pakistan

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 52वें सत्र के दौरान एक बार फिर पाकिस्तान की सरकार कटघरे में आ गई. सिंध के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं.

Human Rights situation in Sindh at UNHRC
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Mar 25, 2023, 9:18 AM IST

जिनेवा (स्विट्जरलैंड) : जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र के दौरान लगातार पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. सिंधी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने यूएनएचआरसी के समक्ष पाकिस्तान के सिंध में मानवाधिकार की बिगड़ती स्थिति के बारे में जानकारी दी है. फातिमा गुल, मुजफ्फर तालपुर, रेवा थरवानी और सिंधु रुस्तमनी सहित सिंधी पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 'पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन' नामक एक अतिरिक्त कार्यक्रम में इस बारे में अपनी बातें रखी.

पढ़ें : PoK Activists In UN : पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान में लोग बर्बरता के शिकार, UNHRC से मांगी मदद

उन्होंने कहा कि इस ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है. पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी नागरिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता फातिमा गुल ने कहा कि सिंध में बुनियादी कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब है. हजारों युवा लड़कियों का अपहरण हो चुका है. ये लड़कियां ज्यागातर गैर मुस्लिम थीं. जिन्हें बाद में इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया गया. इनमें से कई लड़कियों की हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा कि सिंध में लोग अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं की शिकार हो रहे हैं.

पढ़ें : Pak Exposed In UNHRC : यूएनएचआरसी में पाकिस्तान फिर एक्सपोज, बाढ़ पीड़ितों को मदद नहीं कर रही सरकार

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू कट्टरपंथी इस्लामी संस्थाओं और इनके समर्थकों के हाथों उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं. गैर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है. गुल ने कहा कि ईशनिंदा कानून और उसके बहाने से होने वाली हिंसा एक बहुत ही गंभीर समस्या है. उन्होंने कहा कि सिंध में मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम हिंदू और ईसाई सभी को इस्लामी अध्ययन पढ़ाया जाता है. ईशनिंदा के लिए सिंधी लोगों को गिरफ्तार करना हास्यास्पद और गलत है.

पढ़ें : इमरान खान की पार्टी के सोशल मीडिया प्रमुख अजहर मशवानी गिरफ्तार

उन्होंने कहा कि लोग आम तौर से सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कि आम लोग मिलजुल कर रहते हैं. लेकिन सरकार और उसकी एजेंसियों की शह में काम करने वाली संस्थाएं मानवाधिकारों के लिए खतरा बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि सिंधियों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. शिक्षा और बुनियादी ढांचे की भारी किल्लत है. जिस कारण से सिंधियों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस सबसे यही लगता है कि सिंध और खास तौर से सिंध में रहने वाले गैर-मुस्लिम निश्चित रूप से पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. जो बहुत ज्यादा चिंता का विषय है.

पढ़ें : china Pakistan Relation : चीन ने पाकिस्तान के दो अरब डॉलर से अधिक डिपॉजिट रोल ओवर किए

एएनआई से बात करते हुए, सिंधी फाउंडेशन के निदेशक मुजफ्फर तालपुर ने कहा कि सिंध की हालत ऐसी है कि यदि कोई अधिकारों की बात करता है तो वह उसे गायब कर दिया जाता है. चिंताजनक बात यह है कि हमें कई सिंधी कार्यकर्ताओं के गोलियों से छलनी शरीर भी मिले हैं. तालपुर ने कहा कि ज्यादातर युवा सिंधी अब डर में जी रहे हैं. पूरा समाज डर में जी रहा है.

पढ़ें : PTI Leader Killed In Pakistan : पाकिस्तान : घात लगाकर किये गये हमले में पीटीआई नेता समेत 10 लोगों की मौत
(एएनआई)

जिनेवा (स्विट्जरलैंड) : जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र के दौरान लगातार पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. सिंधी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने यूएनएचआरसी के समक्ष पाकिस्तान के सिंध में मानवाधिकार की बिगड़ती स्थिति के बारे में जानकारी दी है. फातिमा गुल, मुजफ्फर तालपुर, रेवा थरवानी और सिंधु रुस्तमनी सहित सिंधी पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 'पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन' नामक एक अतिरिक्त कार्यक्रम में इस बारे में अपनी बातें रखी.

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उन्होंने कहा कि इस ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है. पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी नागरिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता फातिमा गुल ने कहा कि सिंध में बुनियादी कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब है. हजारों युवा लड़कियों का अपहरण हो चुका है. ये लड़कियां ज्यागातर गैर मुस्लिम थीं. जिन्हें बाद में इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया गया. इनमें से कई लड़कियों की हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा कि सिंध में लोग अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं की शिकार हो रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू कट्टरपंथी इस्लामी संस्थाओं और इनके समर्थकों के हाथों उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं. गैर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है. गुल ने कहा कि ईशनिंदा कानून और उसके बहाने से होने वाली हिंसा एक बहुत ही गंभीर समस्या है. उन्होंने कहा कि सिंध में मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम हिंदू और ईसाई सभी को इस्लामी अध्ययन पढ़ाया जाता है. ईशनिंदा के लिए सिंधी लोगों को गिरफ्तार करना हास्यास्पद और गलत है.

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उन्होंने कहा कि लोग आम तौर से सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कि आम लोग मिलजुल कर रहते हैं. लेकिन सरकार और उसकी एजेंसियों की शह में काम करने वाली संस्थाएं मानवाधिकारों के लिए खतरा बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि सिंधियों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. शिक्षा और बुनियादी ढांचे की भारी किल्लत है. जिस कारण से सिंधियों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस सबसे यही लगता है कि सिंध और खास तौर से सिंध में रहने वाले गैर-मुस्लिम निश्चित रूप से पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. जो बहुत ज्यादा चिंता का विषय है.

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एएनआई से बात करते हुए, सिंधी फाउंडेशन के निदेशक मुजफ्फर तालपुर ने कहा कि सिंध की हालत ऐसी है कि यदि कोई अधिकारों की बात करता है तो वह उसे गायब कर दिया जाता है. चिंताजनक बात यह है कि हमें कई सिंधी कार्यकर्ताओं के गोलियों से छलनी शरीर भी मिले हैं. तालपुर ने कहा कि ज्यादातर युवा सिंधी अब डर में जी रहे हैं. पूरा समाज डर में जी रहा है.

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(एएनआई)

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