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फूलगोभी इतनी अजीब क्यों दिखती है ? जानें वजह

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Published : Jul 11, 2021, 6:20 PM IST

क्या आपने फूलगोभी (cauliflowers) को पकाने से पहले उसे बहुत ध्यान से देखा है और कभी उसके आश्चर्यजनक रूप से खूबसूरत पैटर्न के रहस्य को जानने की कोशिश की है? ज्यादातर लोगों को यह सवाल अटपटा लग सकता है लेकिन आपको एक बार यह कोशिश तो करनी चाहिए और आप पाएंगे कि यह सचमुच अलग अनुभव है. आप पाएंगे कि पहली नजर में यह बिना किसी आकार वाले गोले जैसा लगता है जिसमें एक विचित्र नियमितता है.

फूलगोभी
फूलगोभी

नॉटिंघम (ब्रिटेन) :अगर आप बहुत ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे ज्यादातर फूल एक जैसे लगते हैं और अपने ही छोटे रूपों से बने होते हैं. गणित में हम इस विशेषता को स्व-समानता कहते हैं, जो अमूर्त ज्यामितीय वस्तुओं की खास पहचान है जिन्हें 'फ्रैक्टल' (भग्न) कहा जाता है. भग्न एक विषम या खंडित ज्यामितीय आकार है जिसे हिस्से में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक संपूर्ण की लघु-आकार प्रतिलिपि होती है. लेकिन फूलगोभी में ऐसी विशेषता क्यों है? हमारे नये अध्ययन में इसका जवाब तलाशा गया है.

प्रकृति में इस आकार के कई उदाहरण हैं जैसे बर्फ के टुकड़े या पेड़ की शाखाएं. गणित में किसी शुरुआती पैटर्न की प्रतियों की संख्या अनगिनत होती हैं. फूलगोभियों में ऐसी स्व-समानता का स्तर बहुत ज्यादा होता है, जिसमें एक ही कली की सात या उससे ज्यादा प्रतियां होती हैं.

अगर आप अपने गार्डन में कुछ जंगली घासों की पत्तियों एवं तने को देखते हैं तो आप पाएंगे कि ये बहुत करीब से एक-दूसरे का अनुसरण कर रहे होते हैं जो प्रत्येक क्रमिक जोड़े में समान कोण (एंगल) होता है और अगर इस सर्पिल के आस-पास और हिस्से हैं तो आपको अन्य सर्पिल भी दिखेंगे जो घड़ी की सुई की दिशा में या घड़ी की दिशा से उलटी दिशा में बढ़ते दिखेंगे.

प्रत्येक पौधे में सर्पिल बनना उसके विकास के बहुत शुरुआती चरण में हो जाता है और इस चरण में कुछ विशिष्ट जीन सक्रिय हो जाते हैं. ये जीन एक-दूसरे से लेकिन जीन वास्तव में जटिल जीन नेटवर्क में एक दूसरे पर परस्पर प्रभाव डाल रहे होते हैं - जिससे विशिष्ट जीन विशिष्ट क्षेत्र में और विशिष्ट समय पर काम कर रहे होते हैं.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फूलगोभी के आकार के लिए चार तरह के जीन जिम्मेदार होते हैं- एस, ए, एल और टी. फूलगोभी इस लिहाज से भी विशेष होती है कि कुछ समय तक विकसित हो रहे कोने पर मौजूद स्पॉट फूल बनने की कोशिश करते हैं लेकिन ‘ए’ जीन के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पाते. इसके उलट, वे तनों में बदल जाते हैं जो बदले में भी तने ही बनाते है और पत्तियों के उगे बिना पत्तियों को उगाए बिना लगभग असीमित रूप से गुणा होते रहते हैं, जो फूलगोभी की लगभग समान कलियों को जन्म देता है.

(एटियेने फारकोट, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में विज्ञान की सहायक प्राध्यापक)
(पीटीआई-भाषा)

नॉटिंघम (ब्रिटेन) :अगर आप बहुत ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे ज्यादातर फूल एक जैसे लगते हैं और अपने ही छोटे रूपों से बने होते हैं. गणित में हम इस विशेषता को स्व-समानता कहते हैं, जो अमूर्त ज्यामितीय वस्तुओं की खास पहचान है जिन्हें 'फ्रैक्टल' (भग्न) कहा जाता है. भग्न एक विषम या खंडित ज्यामितीय आकार है जिसे हिस्से में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक संपूर्ण की लघु-आकार प्रतिलिपि होती है. लेकिन फूलगोभी में ऐसी विशेषता क्यों है? हमारे नये अध्ययन में इसका जवाब तलाशा गया है.

प्रकृति में इस आकार के कई उदाहरण हैं जैसे बर्फ के टुकड़े या पेड़ की शाखाएं. गणित में किसी शुरुआती पैटर्न की प्रतियों की संख्या अनगिनत होती हैं. फूलगोभियों में ऐसी स्व-समानता का स्तर बहुत ज्यादा होता है, जिसमें एक ही कली की सात या उससे ज्यादा प्रतियां होती हैं.

अगर आप अपने गार्डन में कुछ जंगली घासों की पत्तियों एवं तने को देखते हैं तो आप पाएंगे कि ये बहुत करीब से एक-दूसरे का अनुसरण कर रहे होते हैं जो प्रत्येक क्रमिक जोड़े में समान कोण (एंगल) होता है और अगर इस सर्पिल के आस-पास और हिस्से हैं तो आपको अन्य सर्पिल भी दिखेंगे जो घड़ी की सुई की दिशा में या घड़ी की दिशा से उलटी दिशा में बढ़ते दिखेंगे.

प्रत्येक पौधे में सर्पिल बनना उसके विकास के बहुत शुरुआती चरण में हो जाता है और इस चरण में कुछ विशिष्ट जीन सक्रिय हो जाते हैं. ये जीन एक-दूसरे से लेकिन जीन वास्तव में जटिल जीन नेटवर्क में एक दूसरे पर परस्पर प्रभाव डाल रहे होते हैं - जिससे विशिष्ट जीन विशिष्ट क्षेत्र में और विशिष्ट समय पर काम कर रहे होते हैं.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फूलगोभी के आकार के लिए चार तरह के जीन जिम्मेदार होते हैं- एस, ए, एल और टी. फूलगोभी इस लिहाज से भी विशेष होती है कि कुछ समय तक विकसित हो रहे कोने पर मौजूद स्पॉट फूल बनने की कोशिश करते हैं लेकिन ‘ए’ जीन के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पाते. इसके उलट, वे तनों में बदल जाते हैं जो बदले में भी तने ही बनाते है और पत्तियों के उगे बिना पत्तियों को उगाए बिना लगभग असीमित रूप से गुणा होते रहते हैं, जो फूलगोभी की लगभग समान कलियों को जन्म देता है.

(एटियेने फारकोट, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में विज्ञान की सहायक प्राध्यापक)
(पीटीआई-भाषा)

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