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कोविड-19 : अध्ययन में दावा- ब्रिटेन के लोगों में विकसित हुई हर्ड इम्युनिटी

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Published : Jul 17, 2020, 9:14 PM IST

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस महामारी के दौरान यहां के लोगों की संभवतः पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है. लोगों के अंदर क्षमता का स्तर इतना है कि वह घातक वायरस कोे फिर से पनपने पर उसका सामना कर सकते हैं.

corona virus
प्रतीकात्मक तस्वीर

लंदन : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप का दूसरा दौर आने की स्थिति में है. इसलिए यहां के लोगों में रोकथाम के लिए संभवत: पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है. अध्ययन में भारतीय मूल की प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता भी शामिल हैं.

अध्ययन में गुप्ता और उनके ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के तीन अन्य सहयोगी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ब्रिटेन के लोगों में आम सर्दी जुकाम जैसे मौसमी संक्रमण की वजह से पहले ही सामूहिक तौर पर प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) का स्तर इतना है कि वे घातक कोरोना वायरस के फिर से पनपने पर उसका सामना कर सकते हैं.

शोधपत्र में कहा गया है, 'व्यापक मान्यता है कि किसी महामारी वाले क्षेत्र के लिए संक्रमण की रोकथाम के लिहाज से रोग प्रतिरोधक क्षमता का जरूरी स्तर 50 प्रतिशत अधिक होता है.'

नया अध्ययन यह भी संकेत करता है कि जब अच्छी प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोग कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के साथ मिलते-जुलते हैं तो सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता का स्तर तेजी से घटता है.

हालांकि इस अध्ययन की अभी व्यापक समीक्षा और विश्लेषण नहीं हुआ है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में थियोरेटिकल एपिडेमियोलॉजी की प्रोफेसर गुप्ता ने पहले इस बात का पता लगाने के लिए एंटीबॉडी जांच बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत बताई थी कि ब्रिटेन की आबादी में घातक कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता का स्तर मजबूत हो रहा है या नहीं.

पढ़ें : ट्रंप बोले, भारत-चीन शांति के लिए हरसंभव कदम उठाना चाहता हूं

उन्होंने और उनके सहयोगियों जोस लॉरेंसो, फ्रांसेस्को पिनोटी तथा क्रेग थांपसन ने अपने अध्ययन में कहा, 'मौसमी कोरोना वायरस संक्रमणों के कारण बीमारी के लक्षणों की रोकथाम होने के बड़ी संख्या में प्रमाणों को देखते हुए यह मानना तर्कसंगत होगा कि सार्स-सीओवी2 की चपेट में आने से भी इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी.'

उन्होंने कहा, 'इस तरह अगर दोबारा महामारी का प्रकोप होता है तो अपेक्षाकृत बहुत कम लोगों की मौत होगी और खासतौर पर कम उम्र में अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों में मामले कम होंगे.'

किसी बीमारी, जिसका टीका उपलब्ध है, उसके लिए हर्ड इम्युनिटी को सामान्य तरीके से इस तरह समझा जा सकता है कि सभी लोगों में प्रतिरोधक क्षमता का स्तर समान है.

लेकिन ब्रिटेन में नोवेल कोरोना वायरस को लेकर हुए अनेक अध्ययनों में कोविड-19 की रोकथाम के लिए अभी तक कोई टीका नहीं होने के कारण स्थानीय आबादी में प्रतिरक्षा प्रणाली के विभिन्न स्तरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

लंदन : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप का दूसरा दौर आने की स्थिति में है. इसलिए यहां के लोगों में रोकथाम के लिए संभवत: पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है. अध्ययन में भारतीय मूल की प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता भी शामिल हैं.

अध्ययन में गुप्ता और उनके ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के तीन अन्य सहयोगी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ब्रिटेन के लोगों में आम सर्दी जुकाम जैसे मौसमी संक्रमण की वजह से पहले ही सामूहिक तौर पर प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) का स्तर इतना है कि वे घातक कोरोना वायरस के फिर से पनपने पर उसका सामना कर सकते हैं.

शोधपत्र में कहा गया है, 'व्यापक मान्यता है कि किसी महामारी वाले क्षेत्र के लिए संक्रमण की रोकथाम के लिहाज से रोग प्रतिरोधक क्षमता का जरूरी स्तर 50 प्रतिशत अधिक होता है.'

नया अध्ययन यह भी संकेत करता है कि जब अच्छी प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोग कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के साथ मिलते-जुलते हैं तो सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता का स्तर तेजी से घटता है.

हालांकि इस अध्ययन की अभी व्यापक समीक्षा और विश्लेषण नहीं हुआ है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में थियोरेटिकल एपिडेमियोलॉजी की प्रोफेसर गुप्ता ने पहले इस बात का पता लगाने के लिए एंटीबॉडी जांच बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत बताई थी कि ब्रिटेन की आबादी में घातक कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता का स्तर मजबूत हो रहा है या नहीं.

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उन्होंने और उनके सहयोगियों जोस लॉरेंसो, फ्रांसेस्को पिनोटी तथा क्रेग थांपसन ने अपने अध्ययन में कहा, 'मौसमी कोरोना वायरस संक्रमणों के कारण बीमारी के लक्षणों की रोकथाम होने के बड़ी संख्या में प्रमाणों को देखते हुए यह मानना तर्कसंगत होगा कि सार्स-सीओवी2 की चपेट में आने से भी इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी.'

उन्होंने कहा, 'इस तरह अगर दोबारा महामारी का प्रकोप होता है तो अपेक्षाकृत बहुत कम लोगों की मौत होगी और खासतौर पर कम उम्र में अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों में मामले कम होंगे.'

किसी बीमारी, जिसका टीका उपलब्ध है, उसके लिए हर्ड इम्युनिटी को सामान्य तरीके से इस तरह समझा जा सकता है कि सभी लोगों में प्रतिरोधक क्षमता का स्तर समान है.

लेकिन ब्रिटेन में नोवेल कोरोना वायरस को लेकर हुए अनेक अध्ययनों में कोविड-19 की रोकथाम के लिए अभी तक कोई टीका नहीं होने के कारण स्थानीय आबादी में प्रतिरक्षा प्रणाली के विभिन्न स्तरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

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