हैदराबाद (डेस्क): ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने अपने देश की संसद में एक बयान दिया है. PM मे ने इस बयान में भारत के पंजाब में हुए नरसंहार पर अफसोस जाहिर किया. टेरीजा मे ने कहा 'जलियांवाला बाग ब्रिटिश-भारतीय इतिहास पर एक शर्मनाक धब्बा है.'
उन्होंने कहा 'जैसा की महारानी ने 1997 में जलियांवाला बाग के दौरे से पहले कहा था 'ये भारत के साथ हमारे (ब्रिटेन) इतिहास का एक दुखद उदाहरण है. जो हुआ और जो पीड़ा हुई, हमें उसका गहरा अफसोस है.'
टेरीजा मे ने कहा 'मुझे खुशी है कि आज ब्रिटेन-भारत के संबंध सहयोग, साझेदारी, समृद्धि और सुरक्षा के हैं. भारतीय प्रवासी ब्रिटिश समाज में असाधारण योगदान कर रहे हैं.' PM मे ने कहा 'मुझे विश्वास है कि पूरा सदन भारत के साथ संबंधों को संवरते देखना चाहता है.'
ब्रिटेन में विपक्षी दल लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा 'मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री ने जलियांवाला बाग में जो कुछ हुआ उसका और अमृतसर में 100 साल पहले हुए नरसंहार का उल्लेख किया.'
जेरेमी ने कहा 'मुझे लगता है, जिन्होंने अपनी जानें गंवाई और जो नृशंस कृत्य हुआ, उस मौके पर जो हुआ, ये स्पष्ट, पूरी तरह और बिना संदेह माफी के योग्य है.'
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने टेरीजा मे के बयान पर ट्वीट किया. थरूर ने लिखा कि जलियांवाला बाग नरसंहार पर टेरीजा मे का अफसोस जाहिर करना स्वागतयोग्य पहला कदम है. थरूर ने लिखा कि लंबे समय से औपनिवेशिक अत्याचारों के लिए लंदन से माफी मांगने की मांग लंबित है, मुझे खुशी है कि उनका बयान कम से कम इस मुद्दे को संबोधित करता है. हालांकि, ये पर्याप्त नहीं है.
थरूर ने लिखा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री को अब स्पष्ट, पूरी तरह और असंदिग्ध माफी मांगनी चाहिए, जैसा कि विपक्ष के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने मांग की है. ब्रिटेन को प्रायश्चित करना चाहिए. सिर्फ एक अत्याचार के लिए नहीं, बल्कि सभी औपनिवेशिक बुराइयों के लिए, जलियांवाला बाग एक प्रतीक था, कारण नहीं.
बता दें कि अंग्रेजों के शासन काल में पंजाब के अमृतसर में जलियांवालाबाग नरसंहार हुआ था. जनरल डायर की अगुवाई अंग्रेज सिपाहियों की फायरिंग से हुए इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए थे.
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13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हजारों लोग रोलेट एक्ट और राष्ट्रवादी नेताओं सत्यपाल एवं डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे. तभी जनरल रेजीनल्ड डायर ने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओड्वायर के आदेश पर अंधाधुंध गोलीबारी कर इनमें से सैकड़ों को मौत की नींद सुला दिया था.
कांग्रेस की उस समय की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में कम से कम 1,000 लोग मारे गए और 2,000 के करीब घायल हुए. पार्क में लगी पट्टिका पर लिखा है कि लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए बाग में स्थित कुएं में छलांग लगा दी. अकेले इस कुएं से ही 120 शव बरामद हुए.