लंदन : भाषा वैज्ञानिकों ने पहली बार बोली जाने वाली 332 भाषाओं (Languages Spoken Around The World) के विश्वव्यापी नमूने में 'रफ' और 'स्मूथ' के लिए शब्दों का विश्लेषण किया. इस विश्लेषण में शब्द की ध्वनी और स्पर्श के संबंधों (linguistic Pattern) की तलाश की गई. माना जा रहा है कि ध्वनी और स्पर्श (Discovering A Strong Link Between The Sounds Of Speech And The Sense Of Touch) के इन संबंधों ने आधुनिक भाषाओं की संरचना को प्रभावित किया है. मुलायम (Smooth) अर्थ वाले शब्दों की तुलना में कर्कश (Rough) अर्थ वाले शब्दों में कंपित ध्वनि (Trilled/R/ Sound) होने की संभावना लगभग चार गुना होती है. बास्क ज़कार्रा और मंगोलियाई बार्ज़गर से लेकर डच रू और हंगेरियन दूर्वा तक, इन शब्दों में सामान्य ध्वनि होती है.
इसके बाद, उन्होंने पाया कि वर्तमान में इंडो-यूरोपीय क्षेत्र की 38 भाषाओं में संवेदी शब्दों में ध्वनी का यही (r-for-rough) पैटर्न प्रचलित है। प्रोटो-इंडो-यूरोपीय भाषा परिवारों की जड़ों में भी यह समानता मिलती है. यह दर्शाता है कि यह पैटर्न (r-for-rough) इस बड़े भाषा परिवार में छह सहस्राब्दी से अधिक समय से मौजूद है। अंग्रेजी और हंगेरियन जैसे दो असंबंधित भाषाओं के शब्दों में भी लगभग 60% शब्द इसी पैटर्न के हैं.
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बर्मिंघम विश्वविद्यालय, रेडबौड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने Scientific Reports में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं. रेडबौड विश्वविद्यालय में भाषा और संचार में एसोसिएट प्रोफेसर, सह-लेखक डॉ मार्क डिंगमेन्से ने कहा कि स्वतंत्र रूप से भी ये पैटर्न काफी ध्यान खींचने वाले हैं एक साथ अध्ययन करने पर हम शब्दों और ध्वनियों के बीच की गहरी जड़ों और व्यापक संबंधों तक पहुंच सकते हैं. बर्मिंघम विश्वविद्यालय में संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान में वरिष्ठ व्याख्याता डॉ बोडो विंटर ने कहा कि यह बोली जाने वाली भाषाओं में क्रॉस-मॉडल के अब तक के सबसे व्यापक उदाहरणों में से एक है.
(पीटीआई)