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डब्ल्यूएचओ का दावा : कोविड-19 में रेमडेसिवीर दवा कारगर नहीं

अमेरिका ने मलेरिया के इलाज में उपयोग की जाने वाली रेमडेसिवीर दवा को विशेष परिस्थितियों में कोविड-19 के इलाज में उपयोग के लिए वर्गीकृत किया है. साथ ही ब्रिटेन और यूरोपिय संघ ने भी कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस दवा को मंजूरी दी हुई है.

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Published : Oct 16, 2020, 10:40 PM IST

emdesivir medicine is not effective in covid-19
कोविड-19 उपचार में कारगर नहीं रेमडेसिवीर दवा

जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोविड-19 उपचार को लेकर विश्वभर में बड़े स्तर पर किए गए अलग-अलग अध्ययन किए गए है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि अध्ययन इस बात के 'निर्णायक साक्ष्य' मिले कि गंभीर रूप से बीमार लोगों पर रेमडेसिवीर दवा का बेहद कम प्रभाव रहा अथवा यह बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीमार पड़ने पर उपचार के लिए इस दवा का उपयोग किया गया था.

समग्र चिकित्सा विज्ञान परीक्षण के नतीजों की घोषणा के दौरान दी जानकारी

डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को अपने छह माह लंबे चले एक समग्र चिकित्सा विज्ञान परीक्षण के नतीजों की घोषणा की. इस परीक्षण का मकसद यह जानना था कि वर्तमान में उपलब्ध दवाएं कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में कितनी प्रभावी हो सकती हैं.

अध्ययन में सामने आया कि उपचार में उपयोग की गई दवाओं रेमडेसिविर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, लोपिनाविर/रिटोनाविर और इंटरफेरोन का कोविड-19 मरीजों पर या तो बेहद कम असर हुआ अथवा बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुईं.

पढ़ें: ट्रंप की कोरोना रिपोर्ट आई नेगेटिव, फ्लोरिडा में चुनाव अभियान शुरू

कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिविर का कोई खास प्रभाव नहीं

अमेरिका ने मलेरिया के इलाज में उपयोग की जाने वाली रेमडेसिविर दवा को विशेष परिस्थितियों में कोविड-19 के इलाज में उपयोग के लिए वर्गीकृत किया है. साथ ही ब्रिटेन और यूरोपिय संघ ने भी कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस दवा को मंजूरी दी हुई है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्टिन लेंड्रे ने कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनाविर को लेकर डब्ल्यूएचओ द्वारा किए गए अध्ययन के नतीजे लगभग उसी दिशा में हैं, जैसा कि ब्रिटेन में उनके सह-नेतृत्व में किए गए अध्ययन में सामने आए थे.

उन्होंने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ के अध्ययन से सबसे अहम निष्कर्ष यह निकलकर आया है कि कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिविर का कोई खास प्रभाव नहीं है.

जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोविड-19 उपचार को लेकर विश्वभर में बड़े स्तर पर किए गए अलग-अलग अध्ययन किए गए है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि अध्ययन इस बात के 'निर्णायक साक्ष्य' मिले कि गंभीर रूप से बीमार लोगों पर रेमडेसिवीर दवा का बेहद कम प्रभाव रहा अथवा यह बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीमार पड़ने पर उपचार के लिए इस दवा का उपयोग किया गया था.

समग्र चिकित्सा विज्ञान परीक्षण के नतीजों की घोषणा के दौरान दी जानकारी

डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को अपने छह माह लंबे चले एक समग्र चिकित्सा विज्ञान परीक्षण के नतीजों की घोषणा की. इस परीक्षण का मकसद यह जानना था कि वर्तमान में उपलब्ध दवाएं कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में कितनी प्रभावी हो सकती हैं.

अध्ययन में सामने आया कि उपचार में उपयोग की गई दवाओं रेमडेसिविर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, लोपिनाविर/रिटोनाविर और इंटरफेरोन का कोविड-19 मरीजों पर या तो बेहद कम असर हुआ अथवा बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुईं.

पढ़ें: ट्रंप की कोरोना रिपोर्ट आई नेगेटिव, फ्लोरिडा में चुनाव अभियान शुरू

कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिविर का कोई खास प्रभाव नहीं

अमेरिका ने मलेरिया के इलाज में उपयोग की जाने वाली रेमडेसिविर दवा को विशेष परिस्थितियों में कोविड-19 के इलाज में उपयोग के लिए वर्गीकृत किया है. साथ ही ब्रिटेन और यूरोपिय संघ ने भी कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस दवा को मंजूरी दी हुई है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्टिन लेंड्रे ने कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनाविर को लेकर डब्ल्यूएचओ द्वारा किए गए अध्ययन के नतीजे लगभग उसी दिशा में हैं, जैसा कि ब्रिटेन में उनके सह-नेतृत्व में किए गए अध्ययन में सामने आए थे.

उन्होंने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ के अध्ययन से सबसे अहम निष्कर्ष यह निकलकर आया है कि कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिविर का कोई खास प्रभाव नहीं है.

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