वारसा (पोलैंड) : पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेजेज डूडा ने गुरुवार को कहा कि महिलाओं को जन्मजात रूप से क्षतिग्रस्त भ्रूण के मामले में गर्भपात का अधिकार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर एक रूढ़िवादी नेतृत्व ने प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसके कारण बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए.
सात दिन तक चला विरोध-प्रदर्शन
उन्होंने आरएमएफ एफएम के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि कानून से एक महिला को इस तरह के साहस की जरूरत है. बता दें, संवैधानिक अदालत के फैसले के बाद देश में 7 दिनों तक विशाल प्रदर्शन चला था. जिसके बाद पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेजेज डूडा ने यह बयान दिया है. बयान देते हुए डूडा ने कहा कि भ्रूण के जन्मजात दोष के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए इसे असंवैधानिक घोषित करना चाहिए. सत्तारूढ़ प्रभावी ढंग से लगभग सभी गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है. जो पहले से ही यूरोप के सबसे अधिक प्रतिबंधात्मक गर्भपात कानूनों में से एक था.
महिलाओं पर भी हुए हमले
उन्होंने कहा कि उस फैसले ने बड़े राष्ट्रव्यापी विरोध को जन्म दिया है, जिसमें युवा लोग महिला अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सड़कों पर आने का आह्वान करते हैं. पोलैंड में विरोध-प्रदर्शन अब सड़कों पर फैलने लगे हैं. वहीं, गुरुवार रात एक दूर-दराज समूह, ऑल-पोलिश यूथ वाले पुरुषों ने कुछ शहरों में व्रोकला, पॉज़्नान और बेलस्टॉक सहित रात भर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाली महिलाओं पर हमला किया. उनके कार्यों के बाद पोलैंड के सबसे शक्तिशाली राजनेता, सत्तारूढ़ पार्टी के नेता जारोस्लाव कैक्जिनस्की ने अपने समर्थकों से चर्चों की रक्षा के लिए सड़कों पर निकल जाने का आह्वान किया, क्योंकि महिलाओं ने रविवार को जनता को बाधित किया और चर्चों को पेंट-स्प्रे किया.
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गर्भपात के विरोध पर जोर
कई लोगों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की अनुमति के रूप में कैजिनस्की की कॉल की व्याख्या की. डूडा की टिप्पणियां गुरुवार को पिछले सप्ताह उनकी प्रारंभिक प्रतिक्रिया के विपरीत थीं, जब उन्होंने सत्तारूढ़ का स्वागत किया और भ्रूण के अपरिवर्तनीय रूप से क्षतिग्रस्त होने पर भी गर्भपात के लिए अपने विरोध पर जोर दिया. उन्होंने सुरक्षा के मुद्दे पर काकजिनस्की के साथ मतभेद के संकेत देते हुए कहा कि सड़कों की सुरक्षा के लिए पुलिस की एकमात्र जिम्मेदारी होनी चाहिए.