वारसा : पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने पांच साल के अपने दूसरे कार्यकाल के लिए बहुत कम अंतर के साथ जीत दर्ज की. रूढ़िवादी डूडा ने सप्ताहांत में हुए चुनाव में करीबी मुकाबले में वारसा के उदारपंथी महापौर को हराया है. मतगणना लगभग पूरी हो चुकी है.
डूडा इस विजय का जश्न यह मानते हुए मनाया कि यह मतदाताओं द्वारा उनको दक्षिणपथी सत्तारूढ़ दल को दिया गया स्पष्ट जनादेश है पर उनके समर्थकों ने जश्न मनाया. यह जनादेश गरीबी को कम करने के उनके उपायों पर मतदाताओं की मुहर भी मानी जारी रही किंतु इस बात को लेकर भी चिंताएं हैं कि लोकतंत्र खतरे में है.
आलोचकों और मानवाधिकार समूहों ने चिंता व्यक्त की कि डूडा की जीत न केवल देश में बल्कि यूरोपीय संघ के भीतर भी अनुदारवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देगी. यूरोपीय संघ ने प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान के नेतृत्व वाली सरकार के अंतर्गत हंगरी में कानून के शासन को कमजोर होने से रोकने के प्रयासों में जुटा हुआ है.
ओरबान ने सोमवार को हंगरी की संसद में डूडा के साथ हाथ मिलाते हुए खुद की एक तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की और जीत की बधाई दी.
निर्वाचन आयोग ने कहा कि 99.97 प्रतिशत जिलों के मतों की गणना के अनुसार डूडा को 51.21 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी रफाल ट्रजासकोव्स्की को 48.79 प्रतिशत वोट मिले हैं.
आयोग के प्रमुख सिल्वेस्टर मार्सिनियाक ने कहा कि अंतिम आधिकारिक परिणाम बाद में घोषित किए जाएंगे. वे थोड़ा भिन्न हो सकते हैं, लेकिन प्रारंभिक गिनती में ट्रजासकोव्स्की की तुलना में डूडा को लगभग पांच लाख वोट अधिक मिले हैं, इसलिए उन्हें इस परिणाम के पलटने की उम्मीद नहीं है.
इस चुनाव ने यूरोपीय संघ के इस राष्ट्र में गहरे सांस्कृतिक मतभेदों को उजागर किया है.
सत्ताधारी दक्षिणपंथी लॉ एंड जस्टिस पार्टी द्वारा समर्थित डूडा ने पारंपरिक मूल्यों को आधार बनाकर अपना प्रचार अभियान चलाया और कैथोलिक बहुल राष्ट्र में लोकप्रिय सामाजिक नीतियों का विस्तार किया.
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