जिनेवा : फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल समेत कई नेताओं ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने में विश्व की क्षमता और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को मजबूत करने के प्रयासों का समर्थन किया.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने अपनी वार्षिक सभा में एक मसौदा प्रस्ताव पेश करके कोविड-19 से निपटने के लिए उठाए गए कदमों में 'गंभीर कमियों' को स्वीकार किया.
इस प्रस्ताव में वैश्विक महामारी के खिलाफ कोशिशें तेज करने, डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली निधि को स्थिर बनाने और कोरोना वायरस के टीकों, जांच और उपचार समेत स्वास्थ्य सेवा तक अधिक पहुंच सुनिश्चित करने की बात की गई है.
यह प्रस्ताव यूरोपीय संघ और वानुआतु के प्रयासों का परिणाम है. इस प्रस्ताव पर आठ दिवसीय सभा में विचार किया जाएगा.
इसमें डब्ल्यूएचओ को और तत्पर बनाने के लिए कार्यबल गठित करने की बात की गई है.
मैक्रों ने मुख्य रूप से डिजिटल आधार पर हुई इस बैठक में वीडियो के जरिए कहा, 'हमें ऐसे संस्थानों की आवश्यकता है, जो हमारी महत्वकांक्षाओं को पूरा कर सकें.' उन्होंने कहा कि संकट के समय में डब्ल्यूएचओ को मजबूत, लचीला, पारदर्शी और हर प्रकार के राजनीतिक दबाव से मुक्त होना चाहिए.
मर्केल ने 'वैश्विक स्वास्थ्य खतरा परिषद' के विचार को समर्थन दिया और कहा कि नेताओं को डब्ल्यूएचओ को 'स्थायी वित्तीय मदद' मुहैया करानी चाहिए.
इस प्रस्ताव की प्रति 'द एसोसिएटेड प्रेस' के पास है. प्रस्ताव में दो दर्जन बार कोविड-19 का जिक्र किया गया है.
प्रस्ताव का लक्ष्य वैश्विक महामारी के कारण हुई आर्थिक एवं मानवीय तबाही के बाद उठाए जाने वाले कदमों को लेकर आम सहमति बनाना है.
इस प्रस्ताव में छह लोगों के कार्य समूह के गठन की बात की गई है.
प्रस्ताव को पेश करने वाले राजनयिकों को उम्मीद है कि इसे लेकर डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों में सर्वसम्मति बन जाएगी.
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डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अदानोम गेब्रेयेसस ने कहा कि दुनिया बहुत खतरनाक स्थिति में है और उनके बात करने के दौरान ही दुनिया में कोविड-19 से 400 लोगों की मौत हो जाएगी. उन्होंने टीकों के असमान वितरण को लेकर चिंता दोहराई और कहा कि 75 प्रतिशत टीके केवल 10 देशों में लगाए गए हैं.
(पीटीआई-भाषा)