हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना महामारी के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इस बीच जर्मनी ने इस वायरस को नियंत्रित करने में काफी सफलता हासिल की है. 14 अप्रैल तक जर्मनी में कोविड-19 के करीब 1,30,000 मामले सामने आए थे. इनमें से अब तक आधे लोग बिमारी से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं.
जर्मनी की एक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ मारिया चेननामनी (Dr Maria Chennamaneni) ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि किस प्रकार जर्मनी ने कोरोना के प्रसार को नियंत्रित किया.
डॉ मारिया ने बताया कि जर्मनी में कोरोना का पहला मामला 27 जनवरी को आया था. 14 अप्रैल तक यह आंकड़ा बढ़कर 1,32,210 तक पहुंच गया. इनमें तीन हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए.
टी3 पहल की शुरूआत
इस से निपटने के लिए सरकार ने टी3 (ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट) पहल की शुरूआत की है जो काफी सफल रही. शुरूआती जांच और स्क्रीनिंग के कारण महामारी के प्रसार को रोकने में मदद मिली. वर्तमान में अभी जर्मनी में 2,294 कोरोना मरीज आईसीयू में भर्ती हैं, जिनमें से 73% वेंटिलेटर पर हैं.
जर्मन सरकार ने रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट की मदद से महामारी को नियंत्रित करने और इसके रोकथाम के लिए एक आकस्मिक योजना विकसित की. कोरोना के मामलों को कम करने के लिए बड़ी संख्या में रोकथाम समूह स्थापित किए गए थे. 22 मार्च को देश में राष्ट्रीय कर्फ्यू लगाया गया था. साथ ही अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भी बंद कर दी गई थी.
टेलीमेडिसिन का उपयोग कर रहा जर्मनी
लॉकडाउन के दौरान लोगों को केवल आवश्यक चीजें खरीदने के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति दी गई थी. जर्मनी में एक सप्ताह में पांच लाख लोगों का परीक्षण किया गया. अब तक यहां 13,50,000 परीक्षण किए जा चुके हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र में जर्मनी टेलीमेडिसिन का उपयोग कर रहा है.
सरकारी चिकित्सा नीतियों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के कारण महामारी से निपटने में बहुत मदद मिली है. जर्मनी की कुल जनसंख्या 8 करोड़ है. यहां शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से सरकार द्वारा नियंत्रित है. स्वास्थ्य सेवा पर सरकार का प्रति व्यक्ति खर्च 4,50,000 रुपए प्रति वर्ष है, जो कई देशों की तुलना में बहुत अधिक है. जर्मनी में एक लाख की आबादी पर 600 अस्पताल के बिस्तर हैं.