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बांग्लादेश में औपनिवेशिक काल के कानून के तहत गिरफ्तार महिला पत्रकार को मिली जमानत

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Published : May 23, 2021, 7:27 PM IST

डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद बकी बिल्लाह की अदालत ने दो जमानतदारों को पेश करने के साथ ही 5,000 टका का मुचलका भरने की शर्त पर जमानत प्रदान की. साथ ही जमानत के लिए पासपोर्ट जमा कराने की शर्त भी रखी गई.

पत्रकार रोजीना इस्लाम
पत्रकार रोजीना इस्लाम

ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने रविवार को वरिष्ठ महिला खोजी पत्रकार रोजीना इस्लाम को जमानत दे दी. रोजीना को औपनिवेशक काल के सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

महिला पत्रकार की गिरफ्तारी की काफी आलोचना हुई थी और संयुक्त राष्ट्र ने भी गिरफ्तारी की निंदा की थी. बांग्ला दैनिक 'प्रथम आलो' की वरिष्ठ संवाददाता रोजीना इस्लाम को गत सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने करीब पांच घंटे तक हिरासत में रखा. उन पर बिना अनुमति के एक दस्तावेज का फोटो खींचने का आरोप था. बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

ये भी पढे़ं : हमास के लड़ाकों ने गाजा सिटी में निकाली परेड, पहली बार सामने आया शीर्ष नेता

डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद बकी बिल्लाह की अदालत ने दो जमानतदारों को पेश करने के साथ ही 5,000 टका का मुचलका भरने की शर्त पर जमानत प्रदान की. साथ ही जमानत के लिए पासपोर्ट जमा कराने की शर्त भी रखी गई.

जमानत आदेश सुनाने के दौरान मजिस्ट्रेट ने कहा, 'पत्रकारों का कर्तव्य है कि वे राज्य एवं समाज की छवि का संरक्षण करें. मुझे उम्मीद है कि अब से हम सभी पूरी जिम्मेदारी से कार्य करेंगे.'

रोजीना इस्लाम को काशिमपुर की केंद्रीय महिला जेल में रखा गया था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोजीना के खिलाफ 1923 के सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज कराया था, जिसके तहत मृत्युदंड की सजा का भी प्रावधान है.

रोजीना खोजी पत्रकार हैं, जिन्होंने हाल के महीनों में कई खबरें प्रकाशित कर कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के कथित भ्रष्टाचारों को उजागर किया है.

ये भी पढे़ं : नेपाल राजनीतिक संकट : ओली से बोला निर्वाचन आयोग, एक ही चरण में कराएं चुनाव

कई विधि विशेषज्ञों और कानूनी जानकारों ने कहा कि उन्हें पुराना ऐसा कोई मामला याद नहीं है, जब किसी पत्रकार के खिलाफ 1923 के सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज किया गया हो.

ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने रविवार को वरिष्ठ महिला खोजी पत्रकार रोजीना इस्लाम को जमानत दे दी. रोजीना को औपनिवेशक काल के सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

महिला पत्रकार की गिरफ्तारी की काफी आलोचना हुई थी और संयुक्त राष्ट्र ने भी गिरफ्तारी की निंदा की थी. बांग्ला दैनिक 'प्रथम आलो' की वरिष्ठ संवाददाता रोजीना इस्लाम को गत सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने करीब पांच घंटे तक हिरासत में रखा. उन पर बिना अनुमति के एक दस्तावेज का फोटो खींचने का आरोप था. बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

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डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद बकी बिल्लाह की अदालत ने दो जमानतदारों को पेश करने के साथ ही 5,000 टका का मुचलका भरने की शर्त पर जमानत प्रदान की. साथ ही जमानत के लिए पासपोर्ट जमा कराने की शर्त भी रखी गई.

जमानत आदेश सुनाने के दौरान मजिस्ट्रेट ने कहा, 'पत्रकारों का कर्तव्य है कि वे राज्य एवं समाज की छवि का संरक्षण करें. मुझे उम्मीद है कि अब से हम सभी पूरी जिम्मेदारी से कार्य करेंगे.'

रोजीना इस्लाम को काशिमपुर की केंद्रीय महिला जेल में रखा गया था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोजीना के खिलाफ 1923 के सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज कराया था, जिसके तहत मृत्युदंड की सजा का भी प्रावधान है.

रोजीना खोजी पत्रकार हैं, जिन्होंने हाल के महीनों में कई खबरें प्रकाशित कर कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के कथित भ्रष्टाचारों को उजागर किया है.

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कई विधि विशेषज्ञों और कानूनी जानकारों ने कहा कि उन्हें पुराना ऐसा कोई मामला याद नहीं है, जब किसी पत्रकार के खिलाफ 1923 के सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज किया गया हो.

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