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एलएसी विवाद : शांति के लिए चीन ने फिर भारत पर थोपी जिम्मेदारी

चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बयान दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने गुरुवार को कहा कि सीमा पर तैनात चीनी सैनिकों ने हमेशा दोनों देशों के बीच समझौतों और समझौतों का सख्ती से पालन किया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को समझौतों का सम्मान करना चाहिए.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन
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Published : Sep 17, 2020, 3:55 PM IST

बीजिंग : चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मुद्दे पर उपजे गतिरोध को लेकर पुराना राग अलापा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि चीन क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने और सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

एक सवाल के जवाब में वांग ने कहा, 'अब भारतीय पक्ष द्वारा अपनी गलती को तुरंत सुधारना महत्वपूर्ण है. जितनी जल्दी हो सके जमीन पर विघटन (disengage) करें और तनाव को कम करने और सीमा पर गर्म हो चुके माहौल को शांत करने की दिशा में ठोस कार्रवाई करें.'

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में एक विस्तृत बयान में कहा कि किसी को भी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार के दृढ़निश्चय को लेकर संदेह नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत यह भी मानता है कि पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध के लिए आपसी सम्मान और संवेदनशीलता भी जरूरी है.

यह भी पढ़ें: चीन की कथनी-करनी में फर्क, एलएसी पर हमारी सेना तैयार : रक्षा मंत्री

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सच है कि लद्दाख में हम एक चुनौती का सामना कर रहे हैं, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे जवान और देश इस चुनौती पर खरे उतरेंगे. राजनाथ ने कहा कि हमारे जवान चीनी जवानों के सामने आंख-से-आंख मिलाकर अडिग खड़े हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को भी चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ तनाव को लेकर प्रतिक्रिया दी थी. चीन ने दावा किया था कि वह भारत के साथ किए गए समझौतों का 'सम्मान' कर रहा है और सीमावर्ती क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है.

वांग ने उस दावे को दोहराया कि मौजूदा स्थिति के लिए चीन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में संयुक्त रूप से शांति के लिए चीन भारत के साथ कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत और परामर्श बरकरार रखने की दिशा में काम के लिए तैयार है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन-भारत संबंधों की 'बड़ी तस्वीर' को देखते हुए भारत सीमा मुद्दे को एक उचित स्थिति पर रखेगा और मास्को में विदेश मंत्री जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बातचीत में बनी सहमति के अनुपालन में चीन के साथ मिलकर काम करेगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा मंगलवार को संसद में दिए गए बयान और चीन पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं से क्यों अपने जवानों को वापस नहीं बुला रहा ? इस सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'चीनी पक्ष के लिए हम चीन और भारत के बीच हुए करार का सम्मान कर रहे हैं. हम सीमावर्ती इलाके में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं. साथ ही हम अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए भी प्रतिबद्ध हैं.'

यह भी पढ़ें: लोकसभा में बोले रक्षा मंत्री- हमारी सेना हर चुनौती से निबटने के लिए तैयार

बता दें कि राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बताया था कि चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक बातचीत में भारत ने तीन प्रमुख सिद्धांत रखे हैं जो- 'दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान व पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच बनी सभी सहमतियों और समझौतों का पूरी तरह से पालन होना चाहिए.'

बीजिंग : चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मुद्दे पर उपजे गतिरोध को लेकर पुराना राग अलापा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि चीन क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने और सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

एक सवाल के जवाब में वांग ने कहा, 'अब भारतीय पक्ष द्वारा अपनी गलती को तुरंत सुधारना महत्वपूर्ण है. जितनी जल्दी हो सके जमीन पर विघटन (disengage) करें और तनाव को कम करने और सीमा पर गर्म हो चुके माहौल को शांत करने की दिशा में ठोस कार्रवाई करें.'

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में एक विस्तृत बयान में कहा कि किसी को भी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार के दृढ़निश्चय को लेकर संदेह नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत यह भी मानता है कि पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध के लिए आपसी सम्मान और संवेदनशीलता भी जरूरी है.

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राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सच है कि लद्दाख में हम एक चुनौती का सामना कर रहे हैं, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे जवान और देश इस चुनौती पर खरे उतरेंगे. राजनाथ ने कहा कि हमारे जवान चीनी जवानों के सामने आंख-से-आंख मिलाकर अडिग खड़े हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को भी चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ तनाव को लेकर प्रतिक्रिया दी थी. चीन ने दावा किया था कि वह भारत के साथ किए गए समझौतों का 'सम्मान' कर रहा है और सीमावर्ती क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है.

वांग ने उस दावे को दोहराया कि मौजूदा स्थिति के लिए चीन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में संयुक्त रूप से शांति के लिए चीन भारत के साथ कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत और परामर्श बरकरार रखने की दिशा में काम के लिए तैयार है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन-भारत संबंधों की 'बड़ी तस्वीर' को देखते हुए भारत सीमा मुद्दे को एक उचित स्थिति पर रखेगा और मास्को में विदेश मंत्री जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बातचीत में बनी सहमति के अनुपालन में चीन के साथ मिलकर काम करेगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा मंगलवार को संसद में दिए गए बयान और चीन पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं से क्यों अपने जवानों को वापस नहीं बुला रहा ? इस सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'चीनी पक्ष के लिए हम चीन और भारत के बीच हुए करार का सम्मान कर रहे हैं. हम सीमावर्ती इलाके में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं. साथ ही हम अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए भी प्रतिबद्ध हैं.'

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बता दें कि राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बताया था कि चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक बातचीत में भारत ने तीन प्रमुख सिद्धांत रखे हैं जो- 'दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान व पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच बनी सभी सहमतियों और समझौतों का पूरी तरह से पालन होना चाहिए.'

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