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संकट के वक्त शरणार्थी महिलाओं के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक : यूएनएचसीआर - unhcr

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के वक्त विस्थापित महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक है. पढ़ें पूरी खबर...

UNHCR on violence against women
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Published : Apr 20, 2020, 10:31 PM IST

जेनेवा : संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के वक्त विस्थापित महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक है.

यूएनएचसीआर ने कहा कि इन हालात में वे 'जिंदा रहने के लिए देह व्यापार' अथवा बाल विवाह जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकती हैं.

यूएनएचसीआर के एक सहायक उच्चायुक्त गिलियन ट्रिग्स ने कहा, 'हमें महामारी के इस वक्त शरणार्थी और विस्थापित महिलाओं तथा लड़कियों की तरफ तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.'

उन्होंने कहा, 'वे उन लोगों में हैं जिनके खतरे की जद के आने की ज्यादा आशंका है. शोषण करने वालों को कोई मौका नहीं दिया जाना चाहिए. ऐसा हो सकता है कि विस्थापित महिलाएं शोषण करने वालों के हाथों में पड़ जाएं वहीं अन्य महिलाएं आजीविका के साधन बंद हो जाने के कारण जीवित रहने के लिए देह व्यापार अथवा बाल विवाह जैसे कदम उठाने के लिए विवश हो जाएं.'

संस्था ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में जो पाबंदियां लगाई गई हैं उनसे सहयोग देने वाली सेवाओं तक पहुंच सीमित हो गई है.

उसने कहा कि महिलाओं को खतरे से बचाने के लिए यूएनएचसीआर आपात नकद बांट रही है. ट्रिग्स ने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्थापित महिलाओं के प्रति 'हिंसा के बढ़ते खतरों' को कोविड-19 कार्य योजना में शामिल किया जाए.

जेनेवा : संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के वक्त विस्थापित महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा का खतरा सर्वाधिक है.

यूएनएचसीआर ने कहा कि इन हालात में वे 'जिंदा रहने के लिए देह व्यापार' अथवा बाल विवाह जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकती हैं.

यूएनएचसीआर के एक सहायक उच्चायुक्त गिलियन ट्रिग्स ने कहा, 'हमें महामारी के इस वक्त शरणार्थी और विस्थापित महिलाओं तथा लड़कियों की तरफ तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.'

उन्होंने कहा, 'वे उन लोगों में हैं जिनके खतरे की जद के आने की ज्यादा आशंका है. शोषण करने वालों को कोई मौका नहीं दिया जाना चाहिए. ऐसा हो सकता है कि विस्थापित महिलाएं शोषण करने वालों के हाथों में पड़ जाएं वहीं अन्य महिलाएं आजीविका के साधन बंद हो जाने के कारण जीवित रहने के लिए देह व्यापार अथवा बाल विवाह जैसे कदम उठाने के लिए विवश हो जाएं.'

संस्था ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में जो पाबंदियां लगाई गई हैं उनसे सहयोग देने वाली सेवाओं तक पहुंच सीमित हो गई है.

उसने कहा कि महिलाओं को खतरे से बचाने के लिए यूएनएचसीआर आपात नकद बांट रही है. ट्रिग्स ने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्थापित महिलाओं के प्रति 'हिंसा के बढ़ते खतरों' को कोविड-19 कार्य योजना में शामिल किया जाए.

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