कीव: रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों ने वार्ता के लिए सोमवार को मुलाकात(Ukraine Russia envoys talk) की. रूस ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में जमीन पर सबसे बड़ी लड़ाई छेड़ रखी है लेकिन अब उसे अप्रत्याशित कड़े विरोध से जूझना पड़ रहा है. सोमवार को कीव में तनावपूर्ण शांति रही एवं पूर्वी यूक्रेन के शहरों में धमाकों एवं गोलीबारी सुनाई दी है जिसकी दहशत से यूक्रेनी परिवार आश्रयों व बेसमेंट में सिमटे हुए हैं. यूक्रेन के सैनिकों के पास हथियारों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन दृढ़ इरादों से लबरेज इन सैनिकों ने फिलहाल, राजधानी कीव और अन्य प्रमुख शहरों में रूसी सैनिकों के हमलों की रफ्तार थाम ली है.
वहीं यूक्रेनी सैनिकों से मिल रहे कड़े प्रतिरोध और विनाशकारी प्रतिबंधों से तिलमिलाए रूसी राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन(Vladimir Putin) ने रूस के परमाणु बलों को हाईअलर्ट पर रहने का आदेश दिया है. वहीं यह भी बताया जा रहा है की राजधानी कीव में रविवार रात को हमले की रफ्तार कुछ कम हुई है. कीव में अधिकारियों ने बताया है कि कम से कम सात लोग मारे गए हैं और कई घायल हो गए हैं. उन्होंने यह भी कहा की हताहतों की संख्या अनुमान से कहीं अधिक हो सकती है. उधर रूसी सेना ने घरों, स्कूलों और अस्पतालों पर गोलाबारी के सबूत होने के बावजूद, रिहायशी इलाकों को निशाना बनाने से इनकार किया है.
दक्षिण-पूर्व यूक्रेन के मारीउपोल की मिखाईलोवा ने कहा, 'मैं यह प्रार्थना करती हूं कि ये वार्ता सफलतापूर्वक समाप्त हो ताकि वे नरसंहार बंद करने के समझौते तक पहुंच पाएं तथा और युद्ध न हो.' फिलहाल अब भी उम्मीद की किरणें नजर आ रही हैं. सोमवार को युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन और रूस के अधिकारी पहली बार आमने-सामने वार्ता की मेज पर बैठे. यूक्रेन ने अपने रक्षा मंत्री एवं अन्य शीर्ष अधिकारियों को वार्ता के लिए भेजा जबकि रूस के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई पुतिन के संस्कृति विषयक सलाहकार कर रहे हैं. इस दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के कार्यालय ने कहा कि वह तत्काल संघर्षविराम और रूसी सैनिकों की वापसी की मांग करेंगे. वहीं खबर है की भारत मंगलवार तक यूक्रेन को मानवीय सहायता भेज सकता है.
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फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि रूस इस वार्ता को किस नजरिए से देखता है. वहीं इस बात के भी संकेत नहीं मिल रहे की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस वार्ता से या युद्ध से क्या चाह रहे हैं. हालांकि पश्चिमी देशों के अधिकारियों का यह मानना है पुतिन यूक्रेन की सरकार को हटा कर और उसकी जगह अपनी पसंद का शासन एवं मास्को का शीतयुद्ध कालीन प्रभाव बहाल करना चाहते हैं.
(पीटीआई-भाषा)