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तालिबान ने 100 से अधिक पूर्व पुलिस अधिकारियों को मार डाला या गायब कर दिया: अधिकार समूह - Police and intelligence officers kidnapped

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन गायब कर दिया है.

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तालिबान
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Published : Nov 30, 2021, 9:20 PM IST

काबुल : तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन गायब कर दिया है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही.

समूह ने आम माफी घोषित किये जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ बदले की कार्रवाई जारी रखने की ओर इस रिपोर्ट में इशारा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने सरकारी रोजगार रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए पूर्व अधिकारियों और उन लोगों को निशाना बनाया, जिन्होंने आत्मसमर्पण किया था और सुरक्षा को लेकर पत्र प्राप्त किये थे. कुछ मामलों में स्थानीय तालिबान कमांडरों ने लक्षित किए जाने वाले लोगों की सूची यह कहते हुए तैयार की है कि उन्होंने अक्षम्य कृत्य किए हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट में कहा, 'हत्याओं के स्वरूप से पूरे अफगानिस्तान में आतंक उत्पन्न हो गया है, क्योंकि पूर्व सरकार से जुड़ा कोई भी व्यक्ति सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता है.'

तालिबान 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ था जब इसके लड़ाके राजधानी काबुल में घुस गए थे. तालिबान देश की खराब अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए तभी से जूझ कर रहा है और उसे इस्लामिक स्टेट समूह से आतंकवाद का भी सामना कर रहना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने पूर्वी नांगरहार प्रांत में ऐसे लोगों को निशाना बनाया है जिनके बारे में उसे संदेह है कि वे इस्लामिक स्टेट समूह का समर्थक हैं. यह प्रांत आईएस के हमलों का केंद्र है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रांत की राजधानी जलालाबाद में मंगलवार को तब आठ घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई जब तालिबान ने आईएस आतंकवादियों के एक संदिग्ध ठिकाने पर धावा बोल दिया.

प्रांतीय खुफिया प्रमुख ताहिर मोबारिज ने कहा कि संघर्ष के दौरान घर में एक महिला और एक पुरुष ने आत्मघाती विस्फोट कर लिया और उनकी इसमें मौत हो गई. उन्होंने बताया कि तीसरा व्यक्ति गोलीबारी से मारा गया. उन्होंने बताया कि दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया.

तालिबान नेतृत्व ने बार-बार घोषणा की है कि सशस्त्र बलों के सदस्यों सहित पूर्व सरकार के कर्मियों को उनसे डरने की कोई जरुरत नहीं है. पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें अपने हथियार डालने का आदेश दिया गया था और बदले में उन्हें उनके आत्मसमर्पण और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की पुष्टि करने वाला एक दस्तावेज मिला.

शनिवार को तालिबान प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने एक संबोधन में इस बात से इनकार किया कि कोई बदले की कार्रवाई हो रही है. उन्होंने कहा कि जब तालिबान ने सत्ता संभाली, 'उन्होंने सभी के लिए माफी की घोषणा की. क्या इसका (बदले की कार्रवाई का) कोई उदाहरण सामने आया है?'

पढ़ें - अफगानिस्तान सीमा के पास आतंकवादी हमले में दो पाकिस्तानी सैनिकों की मौत

उन्होंने कहा, 'किसी को कोई दिक्कत नहीं है.' हालांकि उन्होंने कहा कि अगर कोई पूर्व सुरक्षा अधिकारी अपने बुरे काम को फिर से शुरू करता है ... तो उसे उसके अपराध के आधार पर दंडित किया जाएगा.'

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि वादा की गई माफी ने स्थानीय कमांडरों को सेना, पुलिस और खुफिया सेवाओं के पूर्व सदस्यों के खिलाफ बदले की कार्रवाई करने से नहीं रोका है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में सशस्त्र बलों के 47 पूर्व सदस्यों की हत्याओं या गायब होने का दस्तावेजीकरण किया है. उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं.

(पीटीआई-भाषा)

काबुल : तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन गायब कर दिया है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही.

समूह ने आम माफी घोषित किये जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ बदले की कार्रवाई जारी रखने की ओर इस रिपोर्ट में इशारा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने सरकारी रोजगार रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए पूर्व अधिकारियों और उन लोगों को निशाना बनाया, जिन्होंने आत्मसमर्पण किया था और सुरक्षा को लेकर पत्र प्राप्त किये थे. कुछ मामलों में स्थानीय तालिबान कमांडरों ने लक्षित किए जाने वाले लोगों की सूची यह कहते हुए तैयार की है कि उन्होंने अक्षम्य कृत्य किए हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट में कहा, 'हत्याओं के स्वरूप से पूरे अफगानिस्तान में आतंक उत्पन्न हो गया है, क्योंकि पूर्व सरकार से जुड़ा कोई भी व्यक्ति सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता है.'

तालिबान 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ था जब इसके लड़ाके राजधानी काबुल में घुस गए थे. तालिबान देश की खराब अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए तभी से जूझ कर रहा है और उसे इस्लामिक स्टेट समूह से आतंकवाद का भी सामना कर रहना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने पूर्वी नांगरहार प्रांत में ऐसे लोगों को निशाना बनाया है जिनके बारे में उसे संदेह है कि वे इस्लामिक स्टेट समूह का समर्थक हैं. यह प्रांत आईएस के हमलों का केंद्र है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रांत की राजधानी जलालाबाद में मंगलवार को तब आठ घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई जब तालिबान ने आईएस आतंकवादियों के एक संदिग्ध ठिकाने पर धावा बोल दिया.

प्रांतीय खुफिया प्रमुख ताहिर मोबारिज ने कहा कि संघर्ष के दौरान घर में एक महिला और एक पुरुष ने आत्मघाती विस्फोट कर लिया और उनकी इसमें मौत हो गई. उन्होंने बताया कि तीसरा व्यक्ति गोलीबारी से मारा गया. उन्होंने बताया कि दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया.

तालिबान नेतृत्व ने बार-बार घोषणा की है कि सशस्त्र बलों के सदस्यों सहित पूर्व सरकार के कर्मियों को उनसे डरने की कोई जरुरत नहीं है. पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें अपने हथियार डालने का आदेश दिया गया था और बदले में उन्हें उनके आत्मसमर्पण और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की पुष्टि करने वाला एक दस्तावेज मिला.

शनिवार को तालिबान प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने एक संबोधन में इस बात से इनकार किया कि कोई बदले की कार्रवाई हो रही है. उन्होंने कहा कि जब तालिबान ने सत्ता संभाली, 'उन्होंने सभी के लिए माफी की घोषणा की. क्या इसका (बदले की कार्रवाई का) कोई उदाहरण सामने आया है?'

पढ़ें - अफगानिस्तान सीमा के पास आतंकवादी हमले में दो पाकिस्तानी सैनिकों की मौत

उन्होंने कहा, 'किसी को कोई दिक्कत नहीं है.' हालांकि उन्होंने कहा कि अगर कोई पूर्व सुरक्षा अधिकारी अपने बुरे काम को फिर से शुरू करता है ... तो उसे उसके अपराध के आधार पर दंडित किया जाएगा.'

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि वादा की गई माफी ने स्थानीय कमांडरों को सेना, पुलिस और खुफिया सेवाओं के पूर्व सदस्यों के खिलाफ बदले की कार्रवाई करने से नहीं रोका है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में सशस्त्र बलों के 47 पूर्व सदस्यों की हत्याओं या गायब होने का दस्तावेजीकरण किया है. उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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