इस्लामाबाद: पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधी पूर्व न्यायाधीश अरशद मलिक की आलोचना किया है. उन्होंने कहा कि केवल इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ही तय कर सकता है. जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को राहत देने के लिए विवादास्पद वीडियो क्लिपिंग का उपयोग करे या नहीं.
बता दें शरीफ की सजा से जुड़ा एक वीडियो सामने आने के बाद न्यायाधीश को पद से हटा दिया गया था.
दरअसल न्यायालय ने मलिक से संबंधित वीडियो मामले से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की. मलिक ने पिछले साल दिसंबर में अल-अजीजिया स्टील मिल मामले में 69 वर्षीय शरीफ को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी.
उल्लेखनीय है वीडियो पिछले महीने शरीफ की बेटी मरियम शरीफ द्वारा जारी किया गया था. वीडियो में वह कथित तौर पर कहते दिख रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराने के लिए उन पर दबाव डाला गया था.
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गौरतलब है प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने फैसले में कहा कि मलिक के घृणित आचरण ने देश के हजारों ईमानदार और निष्पक्ष न्यायाधीशों को शर्मसार कर दिया है.
हालांकि शरीफ को दोषी ठहराए जाने के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय ने इसे इस्लामाबाद उच्च न्यायालय पर छोड़ दिया है. वही पर शरीफ के सजा की चुनौती दी गई है.