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श्रीलंका: राष्ट्रपति ने PM पर लगाया आरोप, कहा- तमिलों के लिए नहीं करते हैं काम

राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने कहा कि सरकार ने नया संविधान बनाने की कोशिश में पूरे चार साल बर्बाद कर दिए हैं. वे तमिल जनता की उम्मीदों को पूरा करने में असफल रहे हैं. यह मेरी गलती है. पढे़ं पूरी खबर...

फाइल फोटो
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Published : Aug 31, 2019, 5:52 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 11:47 PM IST

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे पर तमिलों के लिए काम नहीं करने के आरोप लगाए हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी ने अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की समस्याओं को सुलझाने के लिए संविधान में पर्याप्त बदलाव नहीं किए हैं.

तमिल मुद्दे के समाधान के लिए नया संविधान बनाने के इरादे से वर्ष 2015 में राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने गठबंधन की सरकार बनाई थीं.

तमिल बहुल जाफना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिरिसेना ने कहा, सरकार ने नया संविधान बनाने की कोशिश में चार साल बर्बाद कर दिए. वे तमिल जनता की उम्मीदों को पूरा करने में असफल रहे. यह मेरी गलती नहीं है. राष्ट्रपति का यह इशारा विक्रमसिंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की तरफ था.

सिरिसेना ने संविधान में हुए 19 वें संशोधन की भी आलोचना की इसके जरिए राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती की गई है.

सिरिसेना ने कहा, संविधान के 19ए ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के अध्यक्ष की तीन समानांतर सरकारें बना दी है. वर्ष 2015 में हुए चुनाव में सिरिसेना का यह अहम चुनावी मुद्दा था.

बता दें कि सिरिसेना का यह बयान आठ दिसंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले आया है.

पढ़ेंः अमेरिका: तुलसी गेबार्ड का राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने से इनकार

गौरतलब है कि श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी इलाके को अलग कर अलग देश बनाने के लिए लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) 30 साल से सैन्य अभियान चला रहा था. 2009 में श्रीलंका की सेना के हाथों वेलुपिल्लई प्रभाकरण की मौत के बाद यह गृहयुद्ध समाप्त हुआ.

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे पर तमिलों के लिए काम नहीं करने के आरोप लगाए हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी ने अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की समस्याओं को सुलझाने के लिए संविधान में पर्याप्त बदलाव नहीं किए हैं.

तमिल मुद्दे के समाधान के लिए नया संविधान बनाने के इरादे से वर्ष 2015 में राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने गठबंधन की सरकार बनाई थीं.

तमिल बहुल जाफना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिरिसेना ने कहा, सरकार ने नया संविधान बनाने की कोशिश में चार साल बर्बाद कर दिए. वे तमिल जनता की उम्मीदों को पूरा करने में असफल रहे. यह मेरी गलती नहीं है. राष्ट्रपति का यह इशारा विक्रमसिंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की तरफ था.

सिरिसेना ने संविधान में हुए 19 वें संशोधन की भी आलोचना की इसके जरिए राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती की गई है.

सिरिसेना ने कहा, संविधान के 19ए ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के अध्यक्ष की तीन समानांतर सरकारें बना दी है. वर्ष 2015 में हुए चुनाव में सिरिसेना का यह अहम चुनावी मुद्दा था.

बता दें कि सिरिसेना का यह बयान आठ दिसंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले आया है.

पढ़ेंः अमेरिका: तुलसी गेबार्ड का राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने से इनकार

गौरतलब है कि श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी इलाके को अलग कर अलग देश बनाने के लिए लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) 30 साल से सैन्य अभियान चला रहा था. 2009 में श्रीलंका की सेना के हाथों वेलुपिल्लई प्रभाकरण की मौत के बाद यह गृहयुद्ध समाप्त हुआ.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 16:35 HRS IST




             
  • श्रीलंका के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे पर तमिलों के लिए काम नहीं करने के आरोप लगाए



कोलंबो, 31 अगस्त (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी पर अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की समस्याओं को सुलझाने के लिए संविधान में बदलाव के लिए पर्याप्त कार्य नहीं करने का आरोप लगाया।



तमिल मुद्दे के समाधान के लिए नया संविधान बनाने के इरादे से वर्ष 2015 में राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने गठबंधन सरकार बनाई।



तमिल बहुल जाफना में शुक्रवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिरिसेना ने कहा, ‘‘सरकार के इस सज्जन ने नया संविधान बनाने की कोशिश में चार साल बर्बाद कर दिए। वे तमिल जनता की उम्मीदों को पूरा करने में असफल रहे। यह मेरी गलती नहीं है।’’ 



उनका इशारा विक्रमसिंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की तरफ था।



सिरिसेना ने संविधान में हुए 19वें संशोधन की भी आलोचना की जिसके जरिये राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती की गई है।



सिरिसेना ने कहा, 19ए ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के अध्यक्ष की तीन समानांतर सरकारें बना दी है। वर्ष 2015 में हुए चुनाव में सिरिसेना का यह अहम चुनावी मुद्दा था।



सिरिसेना का यह बयान आठ दिसंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले आया है।



गौरतलब है कि श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी इलाके को अलग कर अलग देश बनाने के लिए लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) 30 साल से सैन्य अभियान चला रहा था, 2009 में श्रीलंका की सेना के हाथों वेलुपिल्लई प्रभाकरण की मौत के बाद यह गृहयु्द्ध समाप्त हुआ।


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 11:47 PM IST
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