कोलंबो : श्रीलंका की संसद ने विवादित कोलंबो बंदरगाह शहर आर्थिक आयोग विधेयक को मंजूरी दे दी. सरकार ने कहा है कि चीन समर्थित परियोजना देश में निवेश लाएगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी. दो दिन की चर्चा के बाद विधेयक पर मतदान हुआ. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि विधेयक से श्रीलंका में चीन का एक उपनिवेश बन जाएगा. 225 सदस्यों वाली संसद ने विधेयक पर 148-59 मतों से मुहर लगाई.
विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने चर्चा के दौरान उच्चतम न्यायालय की व्याख्या का हवाला देते हुए कहा कि संसद में पेश किए गए विधेयक ने देश की संप्रभुता और संविधान को इस हद तक कमतर किया है कि इसे पारित करने के लिए नौ बार जनमत संग्रह और 17 बार दो-तिहाई बहुमत की जरूरत थी.सरकार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार संशोधन किए जाएंगे, लिहाजा किसी जनमत संग्रह या संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता नहीं होगी. विधेयक के खिलाफ विपक्षी पार्टियों और नागरिक समाज समूह की ओर से दायर 18 याचिकाओं पर अप्रैल में सुनवाई की थी. इन याचिकाओं में विधेयक को पारित करने के लिए राष्ट्रीय जनमत संग्रह और संसद में दो-तिहाई बहुमत तय करने का अनुरोध किया था.
मैरीटाइम सिल्क रोड परियोजना
शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को विधेयक का अपनी समीक्षा पूरी कर ली थी.अदालत ने कहा था कि कि चीनी बंदरगाह शहर विधेयक के कुछ प्रावधान संविधान के खिलाफ हैं. बताया गया है कि 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर की कोलंबो बंदरगाह शहर परियोजना द्वीप में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा विकास है. इसे भारत के समीपवर्ती हिस्से में चीन की महत्वाकांक्षी 'मैरीटाइम सिल्क रोड' परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है.
200,000 से अधिक रोजगार
चीन ने कोलंबो के बंदरगाह के पास बंदरगाह शहर का निर्माण किया है.विधेयक का उद्देश्य एक आयोग स्थापित करने के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र प्रदान करना है जो ऐसे आर्थिक क्षेत्रों में व्यवसाय संचालित करने के लिए पंजीकरण, लाइसेंस, प्राधिकरण और अन्य अनुमोदन प्रदान करे. विधेयक के महत्व पर, सरकार ने गुरुवार को कहा कि बंदरगाह शहर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को बहुत जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा.
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कैपिटल मार्केट मंत्री अजित कब्राल ने अनुमान जताया कि बंदरगाह शहर के शुरुआती निर्माण से 15 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश होगा, जिससे 200,000 से अधिक रोजगार सृजित होंगे.