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डेनियल पर्ल हत्या मामले में चार आरोपियों को रिहा नहीं करेगी सिंध सरकार

डेनियल पर्ल हत्या मामले में सिंध सरकार चार आरोपियों को रिहा नहीं करेगी. उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत इन्हें रिहा नहीं करने का फैसला किया गया है. पढ़ें रिपोर्ट.

daniel pearl
डेनियल पर्ल
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Published : Dec 27, 2020, 7:20 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार ने ब्रिटेन में जन्मे अलकायदा आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों को रिहा नहीं करने का निर्णय किया है. इन पर अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण करने और उसकी हत्या करने के आरोप हैं. सिंध प्रांत की सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में इन चारों को रिहा नहीं करने का फैसला किया है.

हिरासत में नहीं रखें

सिंध उच्च न्यायालय के दो सदस्यों की पीठ ने बृहस्पतिवार को सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि शेख और अन्य आरोपियों को किसी तरह की हिरासत में नहीं रखें और उनकी हिरासत को लेकर सिंध सरकार की सभी अधिसूचनाओं को अमान्य करार दिया. अदालत ने कहा कि चारों व्यक्तियों को हिरासत में रखना अवैध है.

उच्चतम न्यायालय का आदेश बरकरार

बहरहाल, अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर उच्चतम न्यायालय ने उनकी हिरासत के बारे में रोक लगाने का आदेश दिया है, तो उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के आलोक में प्रांत की सरकार उनको रिहा नहीं करेगी. सूत्रों ने अखबार को बताया कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नीत सिंध सरकार का मानना है कि उच्चतम न्यायालय का 28 सितंबर का आदेश अब भी बरकरार है.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार ने ब्रिटेन में जन्मे अलकायदा आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों को रिहा नहीं करने का निर्णय किया है. इन पर अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण करने और उसकी हत्या करने के आरोप हैं. सिंध प्रांत की सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में इन चारों को रिहा नहीं करने का फैसला किया है.

हिरासत में नहीं रखें

सिंध उच्च न्यायालय के दो सदस्यों की पीठ ने बृहस्पतिवार को सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि शेख और अन्य आरोपियों को किसी तरह की हिरासत में नहीं रखें और उनकी हिरासत को लेकर सिंध सरकार की सभी अधिसूचनाओं को अमान्य करार दिया. अदालत ने कहा कि चारों व्यक्तियों को हिरासत में रखना अवैध है.

उच्चतम न्यायालय का आदेश बरकरार

बहरहाल, अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर उच्चतम न्यायालय ने उनकी हिरासत के बारे में रोक लगाने का आदेश दिया है, तो उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के आलोक में प्रांत की सरकार उनको रिहा नहीं करेगी. सूत्रों ने अखबार को बताया कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नीत सिंध सरकार का मानना है कि उच्चतम न्यायालय का 28 सितंबर का आदेश अब भी बरकरार है.

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