बीजिंग : इस साल 15 जून को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना की 20वीं वर्षगांठ थी. एससीओ के सदस्य देश शुरू के छह से अब के आठ सदस्य देशों, चार सर्वेक्षक देशों और छह वातार्लाप देशों तक विस्तृत हो चुके हैं.
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एससीओ ने न केवल क्षेत्रीय शांति की प्रबल रक्षा की, क्षेत्रीय विकास को आगे बढ़ाया, बल्कि बहुपक्षवाद की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों (International Relations) के लोकतंत्रीकरण को आगे बढ़ाने में मिसाल स्थापित की है.
नया सहयोग फार्मूला
एक क्षेत्रीय सहयोग प्रणाली होने के नाते एससीओ ने शुरू में आपसी विश्वास, आपसी लाभ, समानता, सलाह मश्विरा, विविधतापूर्ण सभ्यताओं का सम्मान करने और साझे विकास की शंघाई भावना की स्थापना की थी, जिसने विभिन्न सामाजिक व्यवस्था और विकास रास्ते वाले देशों के बीच सामंजस्यपूर्ण ढंग से सहअस्तित्व करने का नया सहयोग फार्मूला लाया है और कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त कीं.
सुरक्षा सहयोग में एससीओ ने सिलसिलेवार आतंकवाद विरोधी संधियों पर हस्ताक्षर किए और कई बार शांति मिशन नामक संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास किया, जिसने कारगर रूप से क्षेत्रीय शांति व स्थिरता की रक्षा की.
बहुपक्षवाद का समर्थन
आर्थिक और व्यापारिक सहयोग के क्षेत्र में बीते 20 सालों में एससीओ के सदस्य देशों के प्रति चीन के आयात-निर्यात की कुल रकम पहले के 17.14 अरब डॉलर से बढ़कर 244.85 अरब डॉलर तक हो चुकी है.
एससीओ हमेशा बहुपक्षवाद का समर्थन करता है, इसके साथ ही आपसी सम्मान, न्यायता, सहयोग और साझी जीत वाले नये ढंग वाले अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मिसाल की स्थापना भी की.
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एससीओ गुट-निरपेक्ष तरीके पर पर कायम रहकर किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ कार्रवाई न करना और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को और निष्पक्ष और उचित दिशा में विकसित करने को आगे बढ़ाता है, संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका का दृढ़ समर्थन करता है, बहुपक्षवाद की रक्षा करता है और विश्वशांति व स्थिरता की प्रबल रक्षा करता है.
ये पिछले 20 सालों में एससीओ द्वारा विश्व को दिए गए मूल्यवान अनुभव हैं.
(आईएएनएस)