इस्लामाबाद : विश्व के करीब आधे से ज्यादा मुस्लिमों की आबादी वाले एशिया में रमजान का इस्लामी पाक महीना कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के साथ टकराव की राह पर है क्योंकि कई देशों में धर्मगुरूओं का एक हिस्सा से आम मुसलमानों से बड़ी संख्या में मस्जिदों में आने को कह रहे हैं.
अधिकारियों ने गुरूवार से शुरू हो रहे रमजान के दौरान मस्जिदों में जाने वाले लोगों की संख्या सीमित करने का प्रयास किया है लेकिन कई मामलों में धार्मिक नेता ने कोविड-19 के प्रसार को बढ़ा सकने वाली गतिविधियों की चिंताओं को दरकिनार कर दिया है.
बांग्लादेश में, मौलानों ने मस्जिदों में जाने वाले लोगों की संख्या घटाने के प्रयासों पर आक्रोश जताया है और देश की धर्मनिरपेक्ष सरकार को रोजाना एवं साप्ताहिक प्रार्थना के लिए लाखों मुस्लिमों को शामिल होने की इजाजत देने की मांग की है.
कट्टरपंथी हिफाजत-ए-इस्लाम समूह के वरिष्ठ सदस्य मुजीब-उर-रहमान हमीदी ने कहा, 'सरकार की ओर से श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जाना हमें स्वीकार्य नहीं है. इस्लाम श्रद्धालुओं पर किसी तरह की सीमा लगाने का समर्थन नहीं करता है.'
देश में शीर्ष धर्मोपदेशक के जनाजे में शामिल होने के लिए शनिवार को दसियों हजार लोगों ने राष्ट्रव्यापी बंद का उल्लंघन किया था. यहां के इस्लामी नेताओं ने लोगों को याद दिलाया कि स्वस्थ मुस्लिम के लिए मस्जिद में नमाज में शामिल होना 'अनिवार्य' है.
पाकिस्तान में, श्रद्धालुओं ने कहा कि इबादत कोरोना वायरस की चिंताओं से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है.
अधिकारियों पर धार्मिक दबाव है. मजहबी नेताओं ने धार्मिक नेताओं को मस्जिदों को नियमित रूप से साफ रखने का निर्देश देने का वादा किया है. उन्हें मस्जिदों में नियमित नमाज और शाम को जुटने की इजाजत देनी पड़ रही है.
रमजान निकट आने पर पूरे पाकिस्तान में मस्जिदें भरी हुई नजर आ रही. सैकड़ों लोग जुमे की नमाज में हिस्सा ले रहे हैं और सामाजिक दूरी की उल्लंघन कर करीबर-करीब बैठ रहे हैं.
धार्मिक सभाओं में वायरस के जोखिम का बढ़ना एशिया में संक्रमण के तीन दौर के जरिए हाल के कुछ हफ्तों में दर्शाया गया है जो मलेशिया, पाकिस्तान और भारत में अलग-अलग विशाल इस्लामी सभाओं से जुड़े हुए हैं.
एशिया में विश्व की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है जो इंडोनेशियाई द्वीप समूह से लेकर अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वतों तक फैला हुआ है. करीब एक अरब मुस्लिम इस क्षेत्र में रहते हैं.