इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व को इस हफ्ते एक मौलाना के मार्च से चुनौती मिल रही है. खान के इस्तीफे की मांग को लेकर मौलाना फजल-उर-रहमान अपने हजारों समर्थकों के साथ राजधानी इस्लामाबाद में मार्च करेंगे.
रहमान का दावा है कि प्रधानमंत्री ने पिछला चुनाव नहीं जीता था, बल्कि ताकतवर फौज ने उनका चयन किया था.
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इमरान खान ने हालांकि इस आरोप का खंडन किया है, लेकिन पाकिस्तान के विपक्ष ने जुलाई में 2018 के चुनाव से पहले ही देशभर में इसे फैला दिया था. रहमान ने प्रस्तावित मार्च से पहले पत्रकारों से कहा कि इस सरकार के जाने तक यह आंदोलन जारी रहेगा.
पाकिस्तान में सबसे बड़ी इस्लामी पार्टियों में शुमार जमीयत उलेमा-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के अध्यक्ष रहमान ने कहा कि पाकिस्तान को वापस लोकतांत्रिक की राह पर लौटाने के लिए इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है.
जेयूआई-एफ आज़ादी मार्च के लिए देशभर से समर्थकों को जुटा रही है. यह मार्च इस्लामाबाद की ओर बढ़ेगा, जिसमें हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है.
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रहमान बुधवार को लाहौर में थे और गुरुवार शाम तक इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं. उधर, प्रधानमंत्री खान खुद ऐसी परिस्थितियों से वाकिफ हैं. 2014 में विपक्ष के नेता के तौर पर उन्होंने इस्लामाबाद में महीनों तक प्रदर्शनों का आयोजन किया था, लेकिन सरकार गिराने में नाकाम रहे थे.
जेयूआई-एफ मदरसों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों को जुटाने की कुव्वत रखती है और उसका अशांति पैदा करने का इतिहास है. इसे देखते हुए प्रशासन ने राजधानी के राजनयिक इलाके को सील कर दिया है.
खान 2018 से भ्रष्टाचार रोधी एजेंडा चला रहे हैं. उन्होंने डीजल का लाइसेंस देने में हुए भ्रष्टाचार में रहमान की कथित संलिप्पता को लेकर उन्हें मौलाना डीजल कहा था.
रहमान 2018 के चुनाव में खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के उम्मीदवार से हार गए थे. इस मार्च से पहले, देशभर के कारोबारियों ने दो दिन की हड़ताल भी शुरू कर दी है, जिससे खान पर दबाव और बढ़ा है.
रहमान चाहते हैं कि खान पद छोड़ें और पाकिस्तान में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव हों.