बीजिंग : कोरोना से संक्रमित मरीजों का उपचार कर रहे 40 प्रतिशत से अधिक चिकित्साकर्मियों की त्वचा को मास्क, चश्मों, चेहरे और शरीर को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरणों समेत व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरणों के इस्तेमाल से गंभीर नुकसान हो सकता है. एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.
चीन की मेडिकल स्कूल ऑफ नानजिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों समेत कई वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि इस वजह से कर्मियों में त्वचा संबंधी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इससे बचने के लिए पर्याप्त उपायों और उपचार का अभाव है.
एडवांसेज इन वुंड केयर’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) के कारण त्वचा को तीन प्रकार से नुकसान हो सकता है. इन उपकरणों के कारण त्वचा पर पड़ने वाले दबाव, पैदा होने वाली नमी और त्वचा कटने से नुकसान हो सकता है.
अध्ययन में कहा गया है कि पीपीई पहनने के बाद बहुत पसीना निकलने, बहुत अधिक समय तक इन्हें पहनने और ग्रेड दो पीपीई के बजाए ग्रेड तीन के पीपीई के इस्तेमाल से त्वचा को नुकसान का खतरा और बढ़ जाता है.
इसमें कहा गया है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की त्वचा को अधिक नुकसान होने का खतरा है क्योंकि उन्हें महिलाओं की तुलना में अधिक पसीना आता है. इसके अलावा चीन में पुरुष, महिलाओं की तुलना में त्वचा की नियमित देखभाल पर कम ध्यान देते हैं.
वैज्ञानिकों ने कहा, 'चिकित्साकर्मियों की नाक, गालों, कानों और माथे की त्वचा को सर्वाधिक नुकसान होने की आशंका है.'