इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने 31 अक्टूबर को होने वाले 'आजादी मार्च' के दौरान इस्लामाबाद में सशस्त्र बलों को तैनात करने की रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है. यह आजाद मार्च 'सत्ताधारी पीटीआई सरकार को गिराने' के लिए निकाला जा रहा है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजल इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ संघीय राजधानी में मार्च निकालेंगे.
उन्होंने धांधली के जरिए इमरान पर सत्ता में आने का आरोप लगाया है.
एएनपी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने पहले ही विरोध मार्च के लिए अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है.
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान खान के निजी आवास बनी गाला में एक बैठक हुई, जिसमें कानून और व्यवस्था की स्थिति पर मार्च का मुकाबला करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की गई.
बैठक के प्रतिभागियों ने फैसला किया कि सरकार फजल सहित सभी विपक्षी दलों के साथ बातचीत करेगी.लेकिन बातचीत के विफल रहने की स्थिति में सरकारी इमारतों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए सेना को बुलाया जाएगा.
हालांकि, सशस्त्र बलों को बुलाया जाने का अंतिम निर्णय आंतरिक मंत्रालय करेगा.
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सूचना पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि सरकार बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को संभालने की पूरी कोशिश कर रही है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अवान के हवाले से कहा, 'हलांकि, यदि कानून और व्यवस्था को बनाए रखने की बात होगी, तो लोगों का जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए सरकार कानून के अनुसार फैसला लेगी.'