बेरूत: नीदरलैंड में संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक न्यायाधिकरण ने मंगलवार को कहा कि 2005 में एक आत्मघाती ट्रक बम हमले में लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या में आतंकी संगठन हिजबुल्ला के नेतृत्वकर्ताओं या सीरिया के संलिप्त रहने का कोई सबूत नहीं है.
लेबनान के लिए विशेष न्यायाधिकरण के पीठासीन न्यायाधीश डेविड रे ने कहा कि अपनी मौत से कुछ महीने पहले हरीरी लेबनान में सीरिया के और सीरिया में हिजबुल्ला के प्रभाव को घटाने के समर्थक थे.
उन्होंने कहा कि बम हमले में संलिप्त रहने के आरोपियों एवं हिजबुल्ला के चार सदस्यों के खिलाफ मुकदमे में साक्ष्यों का अध्ययन करने वाले न्यायाधीशों का यह मानना है कि सीरिया और हिजबुल्ला का हरीरी तथा कुछ राजनीतिक सहयोगियों का खात्मा करने का मंसूबा रहा होगा.
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि हिजबुल्ला नेतृत्व की हरीरी की हत्या में संलिप्तता रही थी और इसमें सीरियाइयों की भी सीधी संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है.
न्यायाधीश ने इस मामले में अंतिम फैसला सुनाते हुए यह कहा.
न्यायाधिकरण हिजबुल्ला या सीरिया पर कोई फैसला नहीं दे सकता, क्योंकि वह सिर्फ आरोपी व्यक्तियों पर ऐसा कर सकता है. ना कि संगठनों या देश पर.
उल्लेखनीय है कि बेरूत में चार अगस्त को हुए विस्फोट में 180 लोगों के मारे जाने और 6,000 से अधिक लोगों के घायल होने के मद्देनजर हरीरी हत्याकांड में फैसला दो हफ्ते के लिए टाल दिया गया था.
हरीरी की 14 फरवरी 2005 को हत्या कर दी गई थी. उस वक्त वह लेबनान के सबसे प्रमुख सुन्नी नेता थे.
इस मुकदमे की सुनवाई इस हमले में हिजबुल्ला के चार सदस्यों की कथित भूमिका के इर्द गिर्द केंद्रित रही. इस ट्रक बम हमले में 21 अन्य लोग भी मारे गये थे और 226 लोग घायल हुए थे.