ETV Bharat / international

श्रीलंका में नई संसद का काम शुरू, अबेवर्धना अध्यक्ष नियुक्त

नौवीं संसद के उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री दिनेश गुनावर्धना ने अध्यक्ष पद के लिए अबेवर्धना का नाम प्रस्तावित किया. भारत और श्रीलंका के बीच 1987 में हुए शांति समझौते का विरोध करने के लिए बर्खास्त किए गए महिंदा यपा अबेवर्धना को सर्वसम्मति से श्रीलंका की नई संसद का अध्यक्ष चुना गया है.

Mahinda Yapa Abeywardhana
अबेवर्धना अध्यक्ष नियुक्त
author img

By

Published : Aug 20, 2020, 9:13 PM IST

कोलंबो: भारत और श्रीलंका के बीच 1987 में हुए शांति समझौते का विरोध करने के लिए बर्खास्त किए गए महिंदा यपा अबेवर्धना को सर्वसम्मति से श्रीलंका की नई संसद का अध्यक्ष चुना गया है. देश में पांच अगस्त को हुए आम चुनावों के बाद गुरुवार को संसद की पहली बैठक हुई.

नौवीं संसद के उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री दिनेश गुनावर्धना ने इस पद के लिए अबेवर्धना का नाम प्रस्तावित किया. विपक्षी सांसद रंजीत मद्दुमा बंडारा ने उनके नाम का अनुमोदन किया.

नियुक्त किए जाने के फौरन बाद अबेवर्धना (75) को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और अन्य सासंदों ने बधाई दी. दक्षिणी जिले मातारा से सांसद अबेवर्धना को 1987 में उनकी सीट से हटा दिया गया था. उस समय युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) सत्ता में थी.

वह एलटीटीई के साथ श्रीलंका के संघर्ष में भारत के दखल का विरोध कर रहे थे. लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (एलटीटीई) देश के उत्तर और पूर्व में तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था.

तत्कालीन राष्ट्रपति जे आर जयवर्धने और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच श्रीलंका के उत्तर और पूर्वी हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में भारतीय सेना भेजे जाने के लिए हुए समझौते के बाद संसद से उनकी बर्खास्तगी हुई थी.

अबेवर्धना भारत-श्रीलंका शांति समझौते के तहत भारत द्वारा सुझाए गए प्रांतीय परिषदों के सुझाव के खिलाफ थे. इस व्यवस्था के तहत नौ प्रांतीय परिषदों का गठन किया गया था.

कोलंबो: भारत और श्रीलंका के बीच 1987 में हुए शांति समझौते का विरोध करने के लिए बर्खास्त किए गए महिंदा यपा अबेवर्धना को सर्वसम्मति से श्रीलंका की नई संसद का अध्यक्ष चुना गया है. देश में पांच अगस्त को हुए आम चुनावों के बाद गुरुवार को संसद की पहली बैठक हुई.

नौवीं संसद के उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री दिनेश गुनावर्धना ने इस पद के लिए अबेवर्धना का नाम प्रस्तावित किया. विपक्षी सांसद रंजीत मद्दुमा बंडारा ने उनके नाम का अनुमोदन किया.

नियुक्त किए जाने के फौरन बाद अबेवर्धना (75) को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और अन्य सासंदों ने बधाई दी. दक्षिणी जिले मातारा से सांसद अबेवर्धना को 1987 में उनकी सीट से हटा दिया गया था. उस समय युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) सत्ता में थी.

वह एलटीटीई के साथ श्रीलंका के संघर्ष में भारत के दखल का विरोध कर रहे थे. लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (एलटीटीई) देश के उत्तर और पूर्व में तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था.

तत्कालीन राष्ट्रपति जे आर जयवर्धने और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच श्रीलंका के उत्तर और पूर्वी हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में भारतीय सेना भेजे जाने के लिए हुए समझौते के बाद संसद से उनकी बर्खास्तगी हुई थी.

अबेवर्धना भारत-श्रीलंका शांति समझौते के तहत भारत द्वारा सुझाए गए प्रांतीय परिषदों के सुझाव के खिलाफ थे. इस व्यवस्था के तहत नौ प्रांतीय परिषदों का गठन किया गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.