बीजिंग : चीन ने अपने राष्ट्रीय रक्षा कानून को संशोधित करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले अपने सशस्त्र बलों की शक्तियों में वृद्धि की है. इस कदम का उद्देश्य देश और विदेशों में चीन के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सैन्य एवं असैन्य संसाधन जुटाना है.
हांगकांग से प्रकाशित समाचार पत्र साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रविवार की एक खबर के मुताबिक नया कानून एक जनवरी से लागू हो गया है. इसने सैन्य नीति निर्माण व केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) में निर्णय लेने की शक्तियों में प्रधानमंत्री ली कियांग नीत मंत्रिमंडल 'स्टेट कौंसिल' की भूमिकाओं को कमतर कर दिया है.
शी के नेतृत्व वाला सीएमसी, चीन की 20 लाख कर्मियों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का संपूर्ण आलाकमान है.
शी (67), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद इसके सबसे शक्तिशाली नेता के तौर पर उभरे हैं. शी, सीपीसी महासचिव और सेना प्रमुख हैं. इसके अलावा वह राष्ट्रपति हैं और संभवत: आजीवन इस पद पर रह सकते हैं.
वह सीएमसी में एकमात्र ऐसे असैन्य नेता हैं, जिसमें सैन्य अधिकारी भरे हुए हैं.
राष्ट्रीय रक्षा कानून में संशोधनों को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने पिछले साल 26 दिसंबर को पारित किया था.
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में सीपीसी का अहम सम्मेलन हुआ था, जिसमें अमेरिका की तर्ज पर 2027 तक पूरी तरह से आधुनिक सेना बनाने की योजना को अंतिम रूप दिया गया था.
संशोधित कानून, परंपरागत हथियारों के अलावा साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक्स के क्षेत्र में सरकारी एवं निजी उद्यमों को नई रक्षा प्रौद्योगिकी के अनुसंधान में हिस्सा लेने के लिए लामबंद करने की जरूरत पर विशेष बल देता है.
सैन्य एवं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नए कानून का लक्ष्य शी के तहत देश के सैन्य नेतृत्व को मजबूत करना है.
कम्युनिस्ट पार्टी के प्रकाशन 'स्टडी टाइम्स' के पूर्व डिप्टी एडिटर डेंग युवेन ने कहा कि संशोधनों का लक्ष्य देश-विदेश में शासन को नुकसान पहुंचाने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए चीन की राजनीतिक एवं रक्षा प्रणाली की विशिष्ट प्रकृति को लागू करना तथा कानूनी रूप देना है.
डेंग ने कहा, 'चीन की राजनीतिक प्रकृति कई देशों से बिल्कुल ही अलग है. बीजिंग के लिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि सीएमसी के नेतृत्व को उस वक्त मजबूत किया गया है, जब पीएलए चीन के राष्ट्रीय हितों की दुनिया भर में हिफाजत करने जा रही है.'
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शंघाई विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक रह चुके चेन दाओयीन ने कहा कि कानून में किए गए ये बदलाव यह प्रदर्शित करते हैं कि शासन ने अपने उस पुराने सिद्धांत को औचित्यपूर्ण साबित करने का विश्वास हासिल कर लिया है, जो यह कहता है कि पार्टी का बंदूक पर नियंत्रण है और यह सशस्त्र बलों एवं रिजर्व बलों पर उसके पूर्ण नेतृत्व पर मुहर लगाता है.